मोहन भागवत को झूठा ठहराते हैं रेप के मौजूदा आंकड़े

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत द्वारा यह कहना कि इंडिया में ज्यादा और भारत में कम रेप होते हैं हकीकत से कोसों दूर दिखाई देता है। मोहन भागवत का जहां भारत से मतलब ग्रामीण क्षेत्र से था वहीं इंडिया से उनका तात्पर्य अर्बन इंडिया या शहरी क्षेत्र से था।

लेकिन मौजूदा आंकडे़ उनके द्वारा दिए गए वक्तव्य से बिलकुल मेल नहीं खाते हैं। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 1983 से वर्ष 2009 के बीच कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए दुष्कर्म के आरोपियों में करीब 75 फीसद मामले ग्रामीण क्षेत्र से ही थे। आंकड़ों के मुताबिक हाईकोर्ट में दायर किए गए करीब 75 फीसद रेप मामले और सुप्रीम कोर्ट में दायर 65 फीसद रेप के मामले ग्रामीण क्षेत्र से ही जुड़े हैं। इनमें वह मामले भी शामिल हैं जिनमें बारह वर्ष से कम उम्र की किशोरी के साथ रेप किया गया है। अभी तक सामने आए आंकड़े मोहन भागवत के कथन की पोल खोलते हुए दिखाई दे रहे हैं।

गौरतलब है कि पिछले दिनों आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सिल्चर में पश्चिमी जीवनशैली की निंदा करते हुए कहा था कि रेप के मामले इंडिया में ज्यादा और भारत में कम होते हैं। भागवत के इस कथन की कांग्रेस समेत लेफ्ट पार्टियों ने भी कड़ी आलोचना की थी। इसके लिए भाजपा को सामने आना पड़ा था। भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मोहन भागवत की बातों को मीडिया ने तोड़ मरोड़कर दिखाया है।

इस बीच भाजपा को मध्य प्रदेश के उद्योग मंत्री के बेतुके बयान पर भाजपा को आलोचना झेलनी पड़ी है। क्षतिपूर्ति में जुटी भाजपा ने विजयवर्गीय को बयान वापस लेने के लिए कहा, लेकिन भागवत का बचाव किया। दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद उपजे हालात में अब तक बैकफुट पर चल रही कांग्रेस ने इसे भाजपा की मानसिकता बताकर उस पर हमला बोला। इस बीच भागवत ने भी कहा है उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया और सिर्फ उसका एक ही पार्ट दिखाया गया।

सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद भाजपा लगातार केंद्र और दिल्ली की कांग्रेस सरकार पर हमलावर रही है, लेकिन शुक्रवार को उसका यह हमला कुंद हो गया। दरअसल, मध्य प्रदेश के उद्योग मंत्री विजयवर्गीय ने संवेदनहीन बयान देकर महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों की जिम्मेदारी परोक्ष रूप से महिलाओं पर ही डाल दी। उन्होंने कहा, ‘महिलाओं को लक्ष्मण रेखा का ख्याल रखना चाहिए..लक्ष्मण रेखा पार करने पर सीता को भी दंडित होना पड़ा था।’

एक दिन पहले असम के सिलचर में संघ के एक कार्यक्रम में भागवत ने भी परोक्ष रूप से महिलाओं के रहन-सहन पर यह कहते हुए सवाल खड़ा किया, ‘इस तरह की घटनाएं इंडिया (शहरों) में होती हैं, भारत (गांवों) में नहीं।’ इससे पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे और कांग्रेस सांसद अभिजीत मुखर्जी समेत कुछ अन्य नेता भी अपने बयानों से महिलाओं के प्रति असंवेदनशीलता दिखा चुके हैं।

भाजपा ने भागवत का बचाव करते हुए कहा है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि संघ प्रमुख ने भारत की मर्यादा और संस्कृति की बात कही है। उन्होंने याद दिलाया कि भागवत ने दुष्कर्म के दोषियों को कठोरतम सजा देने की भी बात कही है। पार्टी ने विजयवर्गीय को तत्काल बयान वापस लेने को कहा। शाम होते-होते उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया।

संघ प्रमुख के बयान को बेतुका बताते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चौधरी ने कहा, समझ में नहीं आता कि वे कौन सी दुनिया से हैं। इस मामले का राजनीतिकरण करना ठीक नहीं। रेणुका विजयवर्गीय पर भी बरसीं। उन्होंने तल्ख लहजे में पूछा, ‘लक्ष्मण रेखा कौन तय करेगा? आज के जमाने में ऐसी टिप्पणी की कठोर शब्दों में निंदा की जानी चाहिए। दरअसल, यही भाजपा की मानसिकता है जो नारी के साथ घटने वाली घिनौनी घटना के लिए भी नारी को ही जिम्मेदार मानती है।’

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