बेतुके बयानों पर मच रहा है बवाल

सामूहिक दुष्कर्म को लेकर संवेदनशील माहौल में भी राजनेता अपने बेतुके बयान पर लगाम नहीं लगा पा रहे हैं। जदयू अध्यक्ष शरद यादव यह कहकर उलझ गए कि ब्रह्मचर्य का आडंबर फैलाया जा रहा है जबकि सच यह है कि सबको सेक्स की जरूरत है। संघ प्रमुख मोहन भागवत के विवाह को कांट्रेक्ट बताने वाले बयान पर जदयू-भाजपा आपस में ही उलझ गई हैं।

पिछले कुछ दिनों में महिला और समाज को लेकर कई नेताओं के बयानों ने विवाद खड़ा कर दिया है। राजनीतिक दबाव के बाद नेताओं को अपने बयान वापस लेने पड़े। ऐसे में सोमवार को शरद यादव को भी रविवार को दिए बयान पर सफाई देनी पड़ी। उन्होंने कहा, सेक्स की जरूरत संबंधी बयान को सामूहिक दुष्कर्म मामले से जोड़कर न देखा जाए। वह दुष्कर्म की उस घटना से बहुत दुखी हैं। जल्द ही जस्टिस जेएस वर्मा समिति के समक्ष अपने सुझाव देंगे। बहरहाल उनकी पार्टी के साथ भाजपा नेता भी उनके बयान से असहज हैं।

वहीं, मोहन भागवत के बयान पर जदयू की आपत्ति पर भाजपा भड़क गई है। शरद ने जहां भागवत के बयान को छिछला बताया था, वहीं जदयू प्रवक्ता शिवानंद तिवारी का कहना था कि महिलाओं के प्रति भागवत की सोच उनकी मानसिकता को दर्शाती है। भागवत और नफरत फैलाने वाला भाषण देने के आरोपी एमआइएम के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। एक हिंदुओं को मुसलमानों के खिलाफ भड़काता है तो दूसरा मुस्लिमों में हिंदुओं के खिलाफ नफरत का जहर घोलता है। तिवारी की इस तल्ख टिप्पणी पर भाजपा तत्काल बचाव में आई। पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने शरद यादव से आग्रह किया कि वह तिवारी को संयम बरतने को कहें। भाजपा-जदयू के पुराने संबधों की याद दिलाते हुए रविशंकर ने कहा कि कोई बयान देने से पहले यह नहीं भूलना चाहिए।

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