सेटर फॉर नॉलेज सॉवेरेनिटी (सीकेएस) और एसरी इंडिया ने एमएमजीईआईएस प्रोग्राम के पायलट चरण में प्रवेश किया

बेंगलूरू, 23 फरवरी, 2024- सेंटर फॉर नॉलेज सॉवेरेनिटी (सीकेएस) और एसरी इंडिया ने मास्टर मेंटर्स जियो-एनेब्लिंग इंडियन स्कॉलर्स (एमएमजीईआईएस) प्रोग्राम शुरू करने की आज घोषणा की। इसरो के पूर्व चेयरपर्सन श्री ए.एस. किरण कुमार ने भारतीय मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक डाक्टर के.जे. रमेश, भारत के पूर्व महासर्वेक्षक लेफ्टिनेंट जनरल गिरीश कुमार, सीकेएस के सचिव श्री विनीत गोयनका और एसरी इंडिया के प्रबंध निदेशक अगेन्द्र कुमार के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी। इस कार्यक्रम के पायलट चरण में देशभर से 1000 विद्यार्थी शामिल होंगे।

एमएमजीईआईएस एक ऑनलाइन प्रोग्राम है जिसका लक्ष्य जियोस्पैटियल सोच पैदा करना और आठवीं कक्षा से लेकर स्नातक स्तर के विद्यार्थियों को अनुसंधान उन्मुखी बनाना है जो इस देश के भावी कार्यबल का हिस्सा बनेंगे। इस प्रोग्राम का उद्देश्य अगले पांच वर्षों में पांच लाख तक विद्यार्थियों को इस कार्य में लगाना है। वर्ष 2022 में भारत से 66,400 पेटेंट के आवेदन किए गए जिसमें 140 जियोस्पैटियल पेटेंट के आवेदन शामिल हैं। यह प्रोग्राम एक मजबूत आईपी रूपरेखा तैयार करने की दिशा में काम करेगा जिससे भारत के एक वैश्विक जियोस्पैटियल इन्नोवेशन हब बनने की दिशा में इसकी यात्रा में और अधिक पेटेंट के लिए आवेदन किया जा सके। इस प्रोग्राम को शुरू करने के साथ दोनों संगठनो ने भारत में जियोस्पैटियल क्षेत्र में बौद्धिक संपदा के सृजन में तेजी लाने के लिए विद्यार्थियों के बीच जियोस्पैटियल सोच को बढ़ावा देने की दिशा में अपनी प्रतिबद्धताओं को आकार दिया है।

एमएमजीईआईएस प्रोग्राम के लिए जमीनी कार्य करने की दिशा में कई गतिविधियां की गई हैं। कुछ उल्लेखनीय गतिविधियों में 11 दिसंबर, 2023 को दिल्ली में उद्योग जगत के लोगों के साथ एक गोलमेज चर्चा, 10 शहरों से 42 विद्यार्थियों को 13 दिसंबर, 2023 को बेंगलूरू में इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आइस्ट्रैक) केंद्र का भ्रमण कराना और 10 जनवरी, 2024 को दिल्ली में एमएमजीईआईएस वेबसाइट की लांचिंग शामिल है।

आवश्यक जमीनी कार्य पूरा होने के साथ एमएमजीईआईएस प्रोग्राम अब अपने पायलट चरण में प्रवेश कर रहा है। इस पायलट प्रोग्राम को शुरुआत में चुनिंदा स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रारंभ किया जाएगा और इस वर्ष जून से इसे व्यापक स्तर पर चलाने की योजना है। एमएमजीईआईएस की टीम विद्यार्थियों के लिए एक परिवर्तनकारी सीखने का अनुभव उपलब्ध कराने और उन्हें मौजूदा डिजिटल युग में अवसरों के लिए तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध है।

मीडिया को संबोधित करते हुए अंतरिक्ष आयोग के सदस्य और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व चेयरमैन श्री ए.एस. किरण कुमार ने कहा, “मानव प्रयासों के सभी पहलुओं को समाहित करते हुए तेजी से बढ़ रही जियोस्पैटियल टेक्नोलॉजी को समझने और उसका उपयोग करने के टूल्स और ज्ञान के साथ जिज्ञासू युवा भारतीय मस्तिष्क को समर्थ और सशक्त करना महत्वपूर्ण है। एमएमजीईआईएस एक शक्तिशाली माध्यम है जो इन तेज दिमाग वाले लोगों को सही दिशा में लाएगा और जियोस्पैटियल टेक्नोलॉजी के उपयोग में नवप्रवर्तन के एक नए युग का सूत्रपात करने के लिए उन्हें कौशल प्रदान करेगा।”

एसरी इंडिया के प्रबंध निदेशक श्री अगेन्द्र कुमार ने कहा, “आवश्यक जमीनी कार्य सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद हम एमएमजीईआईएस के लिए इस पायलट प्रोग्राम को शुरू करते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। यह उल्लेखनीय पहल जियोस्पैटियल नवप्रवर्तकों और नेताओं की अगली पीढ़ी का पोषण करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करती है। विद्यार्थियों को जियोस्पैटियल की जागरूकता और कौशल से युक्त कर हमारा मानना है कि वे भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार होंगे और समाज पर एक सकारात्मक प्रभाव डालेंगे।”

सीकेएस के सचिव श्री विनीत गोयनका ने कहा, “हमें इस बात का अत्यधिक गौरव है कि इतने कम समय में हम देशभर में विद्यार्थियों तक एमएमजीईआईएस को ले जाने की स्थिति में हैं। हमें पक्का विश्वास है कि एमएमजीईआईएस हमारे समाज में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। यह मार्गदर्शन जो विद्यार्थियों को उपलब्ध कराया जाएगा, वह शिक्षा के प्रति उनका नजरिया बदलेगा और नए क्षेत्रों को समझने और उनकी खोज करने पर केंद्रित होगा। अब वह दिन दूर नहीं जब भारत नवप्रवर्तन के मामले में विश्व का नेतृत्व करेगा।”

हरियाणा सरकार के सलाहकार और भारत के पूर्व महासर्वेक्षक लेफ्टिनेंट जनरल गिरीश कुमार, वीएसएम ने कहा, “एमएमजीईआईएस प्रोग्राम को हमारे देश में जियोस्पैटियल अनुसंधान और नवप्रवर्तन को अगले स्तर पर ले जाने के लिए एक मंच तैयार करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है। उदीयमान विद्यार्थियों को अग्रणी वैज्ञानिकों और नवप्रवर्तकों के मार्गदर्शन में हम जियोस्पैटियल एवं नवप्रवर्तन में एक समृद्ध भविष्य के लिए बीजारोपण कर रहे हैं। इसका लक्ष्य सोच के ऐसे तरीके इजाद करना है जो विद्यार्थियों को अलग तरह से सोचने और जियोस्पैटियल के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को आगे ले जाने के लिए प्रोत्साहित करे।”

रीजनल इंटीग्रेटेड मल्टी-हैज़ार्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम (रिम्स) के सलाहकार और भारतीय मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक डाक्टर के.जे. रमेश ने कहा, “एमएमजीईआईएस प्रोग्राम एक विकसित ज्ञान संचालित अर्थव्यवस्था बनने के भारत के लक्ष्य की तर्ज पर है। इसे इस बात को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है कि विकास का मतलब महज आर्थिक वृद्धि नहीं है, बल्कि यह अनूठी और विश्लेषणात्मक क्षमता वाली मानव पूंजी तैयार करने के बारे में भी है। हमारे युवाओं को उन्नत अनूठे और ज्ञानपूर्ण कौशल से युक्त कर हम हमारी सबसे मूल्यवान संपत्ति- हमारे लोगों में निवेश कर रहे हैं। ये कौशल विद्यार्थियों को भावी योगदानकर्ता, जिम्मेदार निवेशक, उद्यमी और एक ज्ञान आधारित देश के नागरिक बनने के लिए तैयार करने के लिए आवश्यक हैं।”

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