विजय सूरी नेशनल थिएटर फेस्टिवल 2025 एवं डोगरी नाटक हब्बा खातून का विमोचन

नई दिल्ली । विजय सूरी नेशनल थिएटर फेस्टिवल 2025 में जम्मू और कश्मीर से जुडे दो महत्वपूर्ण नाटकों का मंचन किया गया, इस फेस्टिवल में प्रस्तुत किए जाने वाले नाटकों में “अंत अना वरण” और “अर्धकाव्य” शामिल हैं । दोनों एक मनोवैज्ञानिक नाटक है और दोनों नाटको के लेखक विक्रम शर्मा हैं, जो अपने अनूठे लेखन और नाट्य प्रस्तुति के लिए प्रसिद्ध हैं।
दोनों नाटकों  में मानव मन के गहरे पहलुओं, उसके मानसिक संघर्ष और आंतरिक उथल-पुथल को उजागर किया गया है। मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से इनको  एक गहरी और सोचने पर मजबूर करने वाली कृति माना जा रहा है। अंत अना वरण -नाटक विक्रम शर्मा द्वारा लिखित और निर्देशित किया गया है। जो जम्मू कश्मीर से अपनी टीम के साथ इस नाट्य उत्सव में भाग लेने आए थे ।
कलाकार ग्रुप जम्मू द्वारा प्रस्तुत नाटक अंत अना वरण”  एक गहन और संवेदनशील मनोवैज्ञानिक यात्रा को दर्शाता है, जिसमें मानवीय भावनाओं, आंतरिक संघर्षों और मानसिक तनावों को उद्घाटित किया गया है। नाटक के पात्र एक मानसिक यात्रा पर निकलते हैं, जो दर्शकों को मानसिकता और मनोविज्ञान के गहरे पहलुओं से परिचित कराती है। विक्रम शर्मा का लेखन न केवल उनके गहरे समझ को दर्शाता है, बल्कि भारतीय समाज की बदलती मानसिकता पर भी प्रकाश डालता है। इस नाटक में जम्मूबसे आए कलाकारों सपना सोनी,आदित्य भानू,और बिंदिया ने अपने अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया ।
इसी नाट्य उत्सव में रुबरु  की प्रस्तुति विक्रम शर्मा द्वारा लिखा नाटक और काजल सूरी द्वारा निर्देशित नाटक  अर्धकाव्य भी प्रस्तुत किया गया । इस नाटक का साहित्य कला परिषद दिल्ली सरकार द्वारा 2019 में दिल्ली में  साल भर में होने वाले पांच सर्वश्रेष्ठ नाटकों में चयन किया गया था । इस नाटक में काजल सूरी, धर्म गुप्ता, तनीषा गांधी और शुभम शर्मा ने उत्कृष्ट अभिनय से दिल जीत लिया ।
कलाकारों ने पात्रों के मानसिक और भावनात्मक उतार-चढ़ाव को जीवंत रूप से दर्शाया । नाटक की निर्देशिका काजल सूरी  ने कहा, “यह नाटक केवल एक कहानी नहीं है, बल्कि यह एक आंतरिक यात्रा है। यह दर्शकों को सोचने के लिए मजबूर करता है कि क्या हम अपने अस्तित्व के साथ संतुष्ट हैं या हम खुद को समझने की प्रक्रिया में कहीं खो गए हैं।
इसके साथ ही, “हब्बा खातून” एक ऐतिहासिक और भावनात्मक नाटक है,  जो जम्मू और कश्मीर की प्रसिद्ध कवयित्री हब्बा खातून के जीवन और उनकी कविता को केंद्रित करता है।इस नाटक  का  डोगरी भाषा में लोकार्पण किया गया ,जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को संजीवनी प्रदान करता है।काजल सूरी द्वारा लिखित नाटक हब्बा खातून हिंदी और उर्दू भाषा में  प्रकाशित होकर अब डोगरी भाषा में प्रकाशित हुआ  है।यह नाटक न केवल कश्मीर की इतिहासिक धरोहर को संरक्षित करता है, बल्कि क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व को भी उजागर करता है।
इस दौरान दर्शक दीर्घा में डोगरी  के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित डोगरी कवि विजय वर्मा,डोगरी के लेखक और प्रसारण कर्मी रमन केसर, जम्मू की जानी मानी कथक नृत्यांगना मंजू वज़ीर, अभिनेत्री कविता घई और प्रसारणकर्मी और लेखिका विनीता कांबरी शामिल थे ! जिनको रूबरू की वरिष्ठ रंगवकर्मी जसकरण चोपड़ा, गीता सेठी और रशीद जी ने सम्मानित किया ।
मंच संचालन आदिता चौधरी और स्पर्श राय ने किया । प्रकाश सज्जा नीरज तिवारी ने की।बैंक स्टेज,वैभव पॉल, कृष बब्बर, विनायक द्विवेदी,परवीन यादव, भूपेश ने बखूबी संभाला।
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