नई दिल्ली, अप्रैल, 2025- ब्रिक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की महिला सशक्तिकरण इकाई (BRICS CCI WE) ने ‘समान लिंग वाली दुनिया के लिए त्वरित कार्य’ शीर्षक से श्वेतपत्र जारी किया है जिसमें महिला उद्यमियों के लिए सार्थक वैश्विक एक्सिलरेशन प्रोग्राम्स शुरू करते हुए इसे मुख्यधारा की मीडिया में चर्चा में लाने और महिलाओं के लिए चाहे वह कंपनी का बोर्ड हो, न्यायपालिका हो या सांस्कृतिक क्षेत्र हो, 33 प्रतिशत कोटा अनिवार्य करने की सिफारिश की गई है। साथ ही चुनावों में महिला उम्मीदवारों और महिलाओं के नेतृत्व वाले संगठनों के लिए आईएसओ मानक प्रमाणन के लिए कोष की स्थापना करने, विवाद निस्तारण के लिए परिषद, मातृत्व लाभों के लिए राज्य का सहयोग, लिंग के आधार पर अलग अलग डेटा संग्रह एवं निगरानी, महिलाओं के लिए वित्तीय साक्षरता और कौशल विकास की पहल की भी सिफारिश की गई है।
इस श्वेतपत्र में विश्व में बदलाव लाने वाली महिलाओं, उद्यमियों, कॉरपोरेट अधिकारियों और नीति विशेषज्ञों के दृष्टिकोण को शामिल किया गया है जो वर्तमान प्रक्षेप पथ, विश्व आर्थिक मंच के मुताबिक, 2158 तक पूर्ण लिंग समानता हासिल नहीं की जा सकती जैसे विषयों पर चर्चा के लिए BRICS CCI WE Trailblazers Roundtable में एकत्रित हुईं।
भारतीय संसद की पूर्व अपर सचिव (लोक सभा), ब्रिक्स सीसीआई की वरिष्ठ सलाहकार, FORE Centre for Political Leadership and Governance की संस्थापक प्रधान सलाहकार और इस गोलमेज बैठक की अध्यक्ष सुश्री कल्पना शर्मा ने कहा, “महिलाओं को नवप्रवर्तक और निर्णयकर्ता के तौर पर उभरती प्रौद्योगिकियों विशेषकर एआई को आकार देने में एक केंद्रीय भूमिका निभानी होगी। व्यवस्थागत बदलाव के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व एक महत्वपूर्ण कारक होता है। बातचीत और श्वेतपत्र में की गई सिफारिशें यह मजबूती से याद दिलाती हैं कि गठबंधन, मार्गदर्शन और नेतृत्व एक ऐसे भविष्य को तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण हैं जहां महिलाएं ना केवल भागीदारी करें, बल्कि नेतृत्व भी करें।”
BRICS CCI WE की अध्यक्ष सुश्री रूबी सिन्हा के मुताबिक, “दुनियाभर में करीब 3.8 अरब की महिलाओं की आबादी में से 2 अरब से अधिक महिलाएं ब्रिक्स देशों में रहती हैं जिससे वैश्विक स्तर पर लिंग समानता के लिए उनका सशक्तिकरण महत्वपूर्ण है। एक्सिलरेट एक्शन महज एक थीम नहीं है, बल्कि व्यवस्थागत बदलाव के लिए यह एक आपात आह्वान है। महिलाओं को साझीदारी, सक्रिय नेटवर्क और वित्तीय साक्षरता की आवश्यकता है जिससे वे एक प्रतिस्पर्धी बाजार स्थल में सफलता हासिल कर सकें। हमें महिला उद्यमियों की जरूरतों के हिसाब से परिवर्तनकारी समाधान की जरूरत है और वैश्विक स्तर पर महिलाओं की आवाज को बुलंद करना होगा ताकि अंतरराष्ट्रीय परिचर्चाओं में उनकी चुनौतियों को नजरअंदाज ना किया जाए।”
इस श्वेतपत्र में प्रमुख महिला नेताओं और परिवर्तन की अगुवाई करने वाली महिलाओं के विचार भी शामिल किए गए। इनमें ब्रिक्स वुमेन्स बिजनेस एलायंस दक्षिण अफ्रीका की चेयरपर्सन सुश्री लेबोगैंग जुलु, नई दिल्ली की पूर्व पार्षद डाक्टर नंदिनी शर्मा, हिंदुस्तान टाइम्स की सलाहकार संपादक सुश्री ललिता पानिकर, बायोफूडलैब्स की सीईओ एवं संस्थापक सुश्री एलेना शिफ्रिना, भारत के उच्चतम न्यायालय में अधिवक्ता सुश्री अमृता ग्रोवर, सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजिस्ट एवं परोपकारी डाक्टर वल्ली अरुणाचलम, जीरोटु3 कलेक्टिव की संस्थापक एवं सीईओ सुश्री अनुराधा चौधरी, “ब्रिक्स बिजनेस इनक्यूबेटर” और “एससीओ बिजनेस इनक्यूबेटर” के इंटरनेशनल एक्सिलरेशन प्रोग्राम की निदेशक सुश्री तातियाना सेलिवरस्तोवा, ब्रिक्स सीसीआई की कार्यकारी निदेशक और BRICS CCI WE की मुख्य संरक्षक सुश्री शबाना नसीम, थिंकस्टार्टअप की सह संस्थापक शिवानी सिंह कपूर, FORE स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, नई दिल्ली की डीन (अकादमिक) सुश्री संघमित्रा बुद्धप्रिया, ब्रिक्स सीसीआई की गर्वनिंग बॉडी की सदस्य और इंटाडेम कंसल्टेंसी की प्रबंध निदेशक सुश्री शर्मिष्ठा घोष और ब्रिक्स सीसीआई की संयुक्त निदेशक सुश्री अंकिता सचदेव शामिल थीं।
प्रगति में तेजी लाने के लिए इस श्वेतपत्र में सांस्कृतिक एवं सामाजिक बाधाओं सहित प्रमुख क्षेत्रों, महिला एवं पुरुष को भुगतान में अंतर, महिलाओं का नेतृत्व एवं मार्गदर्शन, कानूनी रूपरेखा, लिंग अनुरूप नीतियां और अंतर सांस्कृतिक समाधान में कार्रवाई में तत्काल तेजी लाने की वकालत की गई। इसमें लिंग संतुलन हासिल करने में पुरुषों की महत्वपूर्ण भूमिका और कामकाजी महिलाओं के लिए सरकार और सामाजिक सहयोग ढांचे की जरूरत भी रेखांकित की गई। इस श्वेतपत्र में चर्चा से परे जाकर कार्रवाई योग्य साहसिक कदम उठाने और लिंग समानता की दिशा में वास्तविक, मापी जाने योग्य प्रगति हासिल करने की भी वकालत की गई।