दिल्ली, मई 2025- महिन्द्रा युनिवर्सिटी के इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस सेल की मेजबानी में कनफेडरेशन ऑफ इंडियन प्राइवेट युनिवर्सिटीज़ (सीआईपीयू) द्वारा आयोजित भारत हायर एजुकेशन समिट (बीएचईएस) 2025 के दौरान उद्योगपतियों ने यह बात रेखांकित की है कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था को एक अनुसंधान आधारित एवं अंतरक्षेत्रीय अकादमिक वातावरण का निर्माण कर विश्व में सर्वोत्तम होने का लक्ष्य रखना होगा।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के चेयरमैन प्रोफेसर (डॉक्टर) टी.जी. सीताराम ने कहा, “तेजी से प्रौद्योगिकी के आगे बढ़ने और वैश्विक रुख में बदलाव के साथ हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों पर दूरदर्शी नेता तैयार करने की जिम्मेदारी है। एनईपी 2020 एक परिवर्तनकारी रूपरेखा उपलब्ध कराते हुए हमें रटकर सीखने के बजाय गहन चिंतन की तरफ और साइलो से बहुक्षेत्रीय एकीकरण की और रुख करने का मार्गदर्शन करती है। निजी विश्वविद्यालय 2035 तक 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात हासिल करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।”
‘बिल्डिंग नेक्स्ट जेनरेशन लीडर्स इन हायर एजुकेशन’ थीम पर आयोजित इस समिट में पूरे देश से 150 से अधिक कुलपति और अकादमिक नेता शामिल हुए।
महिन्द्रा युनिवर्सिटी के कुलाधिपति (चांसलर) आनंद महिन्द्रा ने (कुलपति प्रोफेसर मेदुरी द्वारा दिए गए अपने संबोधन में एक संदेश के जरिए) कहा, “भारत हायर एजुकेशन समिट 2025 हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को आकार देने की दिशा में हमारी सामूहिक यात्रा में एक मील का पत्थर है। साथ मिलकर हमें वैश्विक ज्ञान अर्थव्यवस्था में सतत रूप से आगे बढ़ने के उद्देश्य से भारत के लिए मार्ग प्रशस्त करना होगा और साथ ही हमारे अनूठे और अत्याधुनिक विचारों के साथ अगुवाई करना होगा। इस समिट ने एक महत्वपूर्ण परिचर्चा छेड़ी है और अकादमिक, उद्योगपतियों और नीति निर्माताओं के मध्य साझीदारी को मजबूत किया है जिससे भारत के उच्च शिक्षा पारितंत्र को बदलने के हमारे साझा मिशन में इसका महत्व रेखांकित होता है। आगे का मार्ग स्पष्ट है कि हमें वृद्धि को गति देने और वैश्विक विचारकों और निडर नेताओं को तैयार करने के लिए जिज्ञासू लोगों को पोषित करना होगा।”
इस पूरे समिट के दौरान, पैनल में शामिल वक्ताओं और प्रमुख वक्ताओं ने उच्च शिक्षा को वैश्विक मानकों के अनुरूप करने और साथ ही देशज ज्ञान प्रणालियों, डिजिटल नवप्रवर्तन एवं प्रयोगात्मक सीख को आत्मसात करने की जरूरत पर बल दिया।
समिट में आए लोगों का स्वागत करते हुए सदर्न इंडिया रीजनल काउंसिल, सीआईपीयू के चैयरपर्सन और महिन्द्रा युनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर (डॉक्टर) यजुलू मेदुरी ने कहा, “बीएचईएस 2025, साहसिक नेतृत्व, प्रौद्योगिकी एकीकरण और टिकाऊ नवप्रवर्तन के जरिए उत्कृष्ट संस्थानों के निर्माण के लिए एक सामूहिक आंदोलन है। महिन्द्रा युनिवर्सिटी को वैश्विक स्तर पर सक्षम और सामाजिक रूप से जागरूक भावी नेता तैयार करने के लिए इस महत्वपूर्ण संवाद का आयोजन करने का अवसर मिला, यह सम्मान का विषय है।”
अध्यक्षीय संबोधन में सीआईपीयू के मुख्य संरक्षक और एमआईटी-वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी के कार्यकारी अध्यक्ष डॉक्टर राहुल कराद ने कहा, “एक गुंजायमान लोकतंत्र में सह-निर्माण मौलिक है। यह सामूहिक प्रगति को आकार देने के लिए लोगों के एक साथ आने से शुरू होता है। जैसा कि निजी विश्वविद्यालय निरंतर तेजी से उभर रहे हैं और शैक्षणिक परिदृश्य में योगदान दे रहे हैं, कनफेडरेशन ऑफ इंडियन प्राइवेट युनिवर्सिटीज़ (सीआईपीयू) जैसे एक एकीकृत मंच की स्पष्ट तौर पर जरूरत है। इस तरह का निकाय निजी संस्थानों के हितों की रक्षा कर सकता है, साझा चुनौतियों का सामना कर सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि शोध, गुणवत्ता, नवप्रवर्तन और समावेशिता भारत में उच्च शिक्षा के ह्रदय में बना रहे।”
इस दो दिवसीय आयोजन के दौरान, उद्योग विशेषज्ञों ने विद्यार्थियों के आदान प्रदान कार्यक्रमों का महत्व और राष्ट्रीय एवं वैश्विक मंचों पर विश्वसनीयता एवं पहचान बढ़ाने के लिए संस्थानों के साथ मिलकर काम करने की जरूरत को रेखांकित किया।
अपने प्रमुख संबोधन में एनएएसी की कार्यकारी समिति के चेयरमैन और एनबीए के चेयरमैन प्रोफेसर (डॉक्टर) अनिल सहस्त्रबुद्धे ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे संस्थागत नवप्रवर्तन और अखंडता को मान्यता के ह्रदय में रखने की जरूरत है।
पैनल परिचर्चा की एक सीरीज में शोध क्षमता निर्माण में सार्वजनिक-निजी साझीदारी, डिजिटल युग के लिए नेतृत्व कौशल, अकादमिक क्षेत्र में उद्यमशीलता की सोच विकसित करना और अनुसंधान एवं नवप्रवर्तन में नेतृत्व जैसे विषयों पर चर्चा की गई। वर्जीनिया टेक, आईआईएम तिरुचिरापल्ली, टीआईएफआर, इसरो-यूओपी, बिट्स पिलानी, एनआईसीएमएआर युनिवर्सिटी, सिम्बायोसिस आईबीएम हैदराबाद और श्री श्री युनिवर्सिटी से प्रख्यात वक्ताओं ने अपने वैश्विक नजरिये से इस समिट को अधिक सार्थक बनाया।
समिट में सीआईपीयू के मानद उपाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉक्टर) जीके शिरुडे ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के दौरान, शिक्षाविदों ने सामूहिक कार्य के जरिए शुरू की गई इस यात्रा को जारी रखने और सतत संवाद बनाए रखने की जरूरत दोहराई।