बिट्स पिलानी के मयंक गोलेछा ने सुपरकंडक्टिंग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रिंग्स इन स्पेस प्रोजेक्ट के साथ वायासैट

नई दिल्ली, 30 सितंबर, 2025- सैटेलाइट कम्युनिकेशंस में विश्व की अग्रणी कंपनी वायासैट इंक ने बिट्स पिलानी के मयंक गोलेछा को वायासैटः स्पेस फॉर गुड 2025 पहल के अपने भारतीय संस्करण का विजेता घोषित किया है। यह पहल विद्यार्थियों के लिए स्टेम नवप्रवर्तन की एक ऐतिहासिक चुनौती है। निरमा युनिवर्सिटी की भूमि रैयानी और आईआईटी कानपुर के अरुणतेजा जारुपुला इस अत्यधिक प्रतिस्पर्धी चुनौती में उप विजेता रहे।

ब्रिटेन और अमेरिका में भारी सफलता के बाद विश्वविद्यालयों से युवाओं को दुनिया की वास्तविक समस्याओं को हल करने और अंतरिक्ष एवं दूरसंचार नेतृत्वकर्ताओं की अगली पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए वायासैटः स्पेस फॉर गुड भारत आया है। बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, पिलानी के मयंक गोलेछा ने ‘मैग्नोसैट’ नाम की अवधारणा पेश की जिसमें विभिन्न कक्षाओं में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रिंग्स की सीरीज का उपयोग कर बगैर पारंपरिक ईंधन के सैटेलाइट को संचालित करने का प्रस्ताव है।

एक वीडियो संबोधन में संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, “अंतरिक्ष- अंतिम सीमा अब मानव जाति की पहुंच में है। शानदारी विचारों और प्लेटफॉर्मों के साथ आप उदीयमान उद्मयी कृषि, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों के जरिए अंतरिक्ष को हमारे और करीब ला रहे हैं। सभी प्रतिभागियों को बधाई और यह जीत आपको कदम दर कदम मजबूत करेगी एवं और भारत का ध्वज दुनिया में लहराएगी क्योंकि हम एक विकसित देश बनने की दिशा में बढ़ रहे हैं।”

विजेता को 4,00,000 रुपये का प्रथम पुरस्कार प्राप्त होगा, जबकि दूसरे स्थान पर रही निरमा युनिवर्सिटी की 19 वर्षीय भूमि रैयानी को 2,50,000 रुपये और तीसरे स्थान पर रहे आईआईटी कानपुर के 18 वर्षीय अरुणतेजा जारुपुला को 1,00,000 रुपये का पुरस्कार मिलेगा। भूमि का विचार “प्लाज्मा पाथवेज” एक भावी अंतरिक्ष संचार अवधारणा पर केंद्रित है, जबकि अरुणतेजा की परियोजना “स्टेलर” के तहत कक्षीय अंतरिक्ष बस्तियां स्थापित करने का प्रस्ताव है जो विनिर्माण केंद्र के तौर पर काम करेंगे।

इस प्रतिस्पर्धा के विजेता मयंक गोलेछा ने कहा, “स्पेस फॉर गुड चैलेंज के लिए वायासैट द्वारा सम्मानित किया जाना मेरे लिए गर्व की बात है। इस अवसर ने ना केवल मेरी रचनात्मकता और तकनीकी कौशल की सीमाओं का विस्तार करने करने के लिए प्रोत्साहित किया, बल्कि पृथ्वी पर टिकाऊ समाधान का निर्माण करने के लिए स्पेस टेक्नोलॉजी की ताकत में मेरा विश्वास बढ़ाया है। मुझे उम्मीद है कि मेरी परियोजना अन्य लोगों को ऐसे अनूठे विचार पेश करने के लिए प्रेरित करेगी जो हमारी धरती और मानवता के लिए एक बेहतर भविष्य के निर्माण में योगदान कर सके।”

वायासैट इंडिया के प्रबंध निदेशक गौतम शर्मा ने कहा, “हम वायासैटःस्पेस फॉर गुड 2025 पहल के जरिए युवाओं द्वारा प्रदर्शित अविश्वसनीय सरलता और जुनून देखकर रोमांचित हैं। यह प्रतियोगिता यहां मौजूद जीवंत नवप्रवर्तन पारितंत्र का एक प्रमाण है और यह दिखाती है कि विश्व की वास्तविक समस्याओं को हल करने में स्पेस टेक्नोलॉजी कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। वायासैट में हम इन भावी नेतृत्वकर्ताओं को सहयोग और मार्गदर्शन करने को लेकर गौरवान्वित हैं जो अंतरिक्ष में टिकाऊ उन्नयन को गति दे रहे हैं जिनसे ना केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया लाभान्वित होगी।”

समापन संबोधन में दूरसंचार विभाग के डीडीजी (एसई) अनिल कुमार भारद्वाज ने कहा, “हम समस्याओं को हल करने के इच्छुक युवा नवप्रवर्तकों के दौर में जी रहे हैं। सरकार और वायासैट जैसी कंपनियों सहित उद्योग के मजबूत समर्थन से आज के युवाओं के पास अपने विचारों को खासकर अंतरिक्ष और दूरसंचार में विचारों को अवधारण से वास्तविकता में ले जाने अवसर है। यह पारितंत्र जीवंत है, फंड्स उपलब्ध हैं और सरकार भारत केंद्रित ऐसे सॉल्यूशंस को सहयोग देने को तैयार है जो कनेक्टिविटी में परिवर्तन और टिकाऊ उन्नयन लाए।”

प्रख्यात जूरी में इन-स्पेस के प्रमोशन डायरेक्टरेट निदेशक डाक्टर विनोद कुमार, संचार मंत्रालय के ज्वाइंट वायरलेस एडवाइजर रेवती मन्नेपल्ली, इंडियन स्पेस एसोसिएशन (इस्पा) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट (सेवानिवृत्त), विदेश मंत्रालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी कर्नल अश्विनी भारद्वाज, स्काईरूट एयरोस्पेस के सह संस्थापक और सीईओ पवन चंदाना, दूरसंचार विभाग के उप महानिदेशक (एसएमसी) प्रभात दीक्षित, वायासैट के निदेशक (इंजीनियरिंग) रमेश सुंदरराजन और इन-स्पेस में प्रोग्राम मैनेजमेंट एवं प्रमाणीकरण निदेशालय की उप निदेशक सोनाली नंदाशामिल रहीं।

शीर्ष तीन के बाहर फाइनल में पहुंचे अन्य पांच लोगों में सस्त्र से अबिरामी वन्नीयाराजन, थापर इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से प्रियम गांगुली, कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी से आदित्य कुमार, एमिटी युनिवर्सिटी से जगदीश नाहक और कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी से आर्यन शिरके शामिल रहे जिन्हें करियर ट्रैक्स को लेकर विशेषज्ञता उपलब्ध कराने और इन विद्यार्थियों को स्टेम में करियर के बारे में समझने में मदद करने के लिए अगले छह महीने तीन अतिरिक्त वायासैट मेंटर सेशन (ऑनलाइन) में प्रतिभाग करने का निमंत्रण मिलेगा।

इस आयोजन में संचार मंत्रालय के डीडीजी (एसई) श्री अनिल भारद्वाज ने नया अंतरिक्ष युगः भारत के अंतरिक्ष पुनर्जागरण पर आपका दृष्टिकोणविषय पर एक संबोधन दिया।

इसके बाद, विद्यार्थी से अंतरिक्ष उद्यमी तकः भारत के स्पेस युनिकॉर्न्स का निर्माण विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसके सूत्रधार प्रख्यात मीडिया हस्ती श्री पंकज डोवाल रहे और पैनल में स्काईरूट एयरोस्पेस लिमिटेड के सह संस्थापक एवं सीईओ श्री पवन चंदाना, इंडियन स्पेस एसोसिएशन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एके भट्ट (सेवानिवृत्त), ईवाई के पार्टनर श्री पंकज शर्मा, इन-स्पेस के निदेशक डाक्टर विनोद कुमार और वायासैट के चीफ पीपुल ऑफिसर रेबेका ग्रैटन शामिल थे।

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