नई दिल्ली। सरकारी तेल कंपनियों ने सोमवार मध्यरात्रि से फिर पेट्रोल की कीमत में 70 पैसे प्रति लीटर बढ़ोतरी कर दी है। कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत बढ़ने व रुपये के अवमूल्यन को इसका कारण बताया है। वहीं, पेट्रोल की कीमत बढ़ाए जाने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि ‘संप्रग के घटक दलों के साथ बिना कोई सलाह-मशविरा किए पेट्रोल की कीमत उस समय बढ़ाई गई है, जब महंगाई चढ़ती जा रही है। कीमत बढ़ाने के फैसले का तृणमूल विरोध करती है। हम इस मूल्य वृद्धि को वापस लेने की मांग करते हैं।’
अब दिल्ली में पेट्रोल की नई खुदरा कीमत 68.48 रुपये प्रति लीटर हो गई है। तेल कंपनियों ने मई, 2012 में पेट्रोल में एकमुश्त जब 7.54 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की थी तो इसका काफी राजनीतिक विरोध हुआ था। जून, 2012 में पेट्रोल को 2.02 रुपये व 2.46 रुपये प्रति लीटर सस्ता किया गया।
पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियों ने यह वृद्धि 14 जुलाई, 2012 तक की क्रूड कीमत के आधार पर की है। भारत जिन बाजारों से कच्चा तेल खरीदता है, वहां यह 104 डॉलर प्रति बैरल हो चुका है। इस महीने के पहले 20 कारोबारी दिनों में लगभग 10 डॉलर प्रति बैरल महंगा हो चुका है। ऐसे में अगले महीने की शुरूआत में पेट्रोल की कीमत में एक और वृद्धि संभव है।
तेल कंपनियों ने कहा है कि उन्हें इस समय डीजल पर 10 रुपये व केरोसीन पर 27.20 रुपये प्रति लीटर और रसोई गैस पर 319 रुपये प्रति गैस सिलेंडर का घाटा हो रहा है। अगर घाटे का यह स्तर बरकरार रहता है तो तेल कंपनियों और सरकार को वर्ष 2012-13 में 1,60,000 करोड़ रुपये का सब्सिडी बोझ उठाना पड़ सकता है। अगर क्रूड सस्ता नहीं होता तो कंपनियां आगे भी पेट्रोल के महंगा करती रहेंगी।