यूपी में मुसीबत का सबब बनती लालबत्ती

सिर मुढ़ाते ही ओले पड़ने वाली कहावत वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लालबत्ती से नवाजे गए पार्टी नेताओं पर सटीक बैठ रही है। अब इसे तकदीर का फेर कहिए या फिर ग्रहों का वक्री होना। लंबी भागदौड़ के बाद पार्टी नेताओं को मिली लालबत्ती अब मुसीबत की सबब बन गई है। हालत ये है कि दो नेताओं को लालबत्ती से हाथ धोना पड़ा और दो के सिर पर लालबत्ती छिनने की तलवार लटक रही है। इससे पार्टी की फजीहत अलग हो रही है। इससे विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया है। अखिलेश सरकार के इन फैसलों से सरकार की छवि को लेकर पिछले काफी दिनों से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा दी जा रही नसीहत भी बेमतलब साबित हो गई है। सपा नेता पंडित सिंह, नटवर गोयल, साहब सिंह सैनी और अब केसी पांडेय को लालबत्ती क्या मिली मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। बात शुरू करते हैं विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह से। गोंडा जिले के विधायक हैं। उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया था, लेकिन संविदा के आधार पर भर्ती में स्थानीय सीएमओ से उनकी भिड़ंत हो गई। सीएमओ के साथ मारपीट और कथित तौर पर अपहरण के मामले में वह ऐसा उलझे कि सरकार की साख बचाने के लिए मुख्यमंत्री को उनसे इस्तीफा लेना पड़ गया।

ऐसा ही मामला सपा नेता नटवर गोयल का है। सपा सरकार बनने के कुछ दिनों बाद नटवर गोयल को उत्तर प्रदेश खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का उपाध्यक्ष बना राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया, लेकिन लाल बत्ती पाते ही अफसरों पर दबाव बनाने के साथ ही बिजली चोरी के विवाद में उनका नाम सुर्खियों में आ गया। एक दिन जनाब मीडियाकर्मी से ऐसे उलझे कि लालबत्ती तो गई ही, जेल भी जाना पड़ गया।

इसी तरह सपा नेता साहब सिंह सैनी चार जनवरी को बीज प्रमाणीकरण निगम का अध्यक्ष बने। उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला। प्रोटोकाल समझते और लालबत्ती लगाकर चलते दस दिन भी नहीं गुजरे कि साहब ने 14 जनवरी को बैठक बुलाई और अफसरों से उलझ गए। इसी बीच सालों से नेपथ्य में रह रहीं उनकी पहली पत्‍‌नी अवतरित हो गईं और देहरादून में उनके खिलाफ अदालती कार्रवाई पर उतर आईं। साहब सिंह सैनी पर उत्तराखंड में मुकदमा भी दर्ज हो गया है। अब सरकार उनको लेकर पशोपेश में है, क्योंकि उन्हें हटाने की मांग शुरू हो गई है।

सरकार अभी सैनी प्रकरण से उबर भी नहीं पाई थी कि उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के उपाध्यक्ष के तौर पर राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त केसी पांडेय ने एक और मुसीबत खड़ी कर दी। पशुतस्करों की मदद में गोंडा के पुलिस कप्तान से सिफारिश की। इसी दौरान एसपी ने उनकी पूरी बातचीत रिकार्ड कर ली। लालबत्ती मिलने के दूसरे ही दिन यह रिकार्ड बातचीत मीडिया में आ गई और फिर तो विपक्ष उन पर हमलावर हो गया। आगरा में जिला पंचायत अध्यक्ष गणेश यादव ने एक तरफ शपथ ली और लालबत्ती वाली गाड़ी में बैठ भी नहीं पाए थे कि उनके बेटे कौशल को दुराचार के आरोप में पुलिस पकड़ कर ले गई। उनकी सारी खुशी काफूर हो गई। जिस समाजवादी पार्टी ने गणेश यादव को अध्यक्ष बनाने में एड़ी चोटी एक कर दी, उसी पार्टी का कोई वरिष्ठ नेता उनके शपथ ग्रहण समारोह में नहीं गया।

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