नई दिल्ली । सेतु समुद्रम परियोजना पर केंद्र सरकार ने एक बार फिर पलटी खाई है। उसने इस मसले पर गठित आरके पचौरी समिति की रपट को खारिज करते हुए कहा है कि वह इस परियोजना का काम आगे बढ़ाना चाहती है। उसने तर्क दिया है कि इस परियोजना पर आठ सौ करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और ऐसे में काम बंद करने का कोई मतलब नहीं। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में सरकार ने यह भी कहा है कि रामसेतु हिंदू धर्म का आवश्यक अंग नहीं। इस परियोजना के तहत रामसेतु कहे जाने वाले एडम ब्रिज को तोड़कर जहाजों के आने-जाने का रास्ता तैयार करना है। भाजपा ने सरकार के ताजा रुख की कठोर आलोचना करते हुए कहा है कि रामसेतु से कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सेतुसमुद्रम परियोजना के तहत भारत और श्रीलंका के बीच से जहाजों के गुजरने के लिए रामसेतु को पार करते हुए 30 मीटर चौड़े, 12 मीटर गहरे और 167 किलोमीटर लंबे रास्ते की खुदाई करनी है। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद 2008 में गठित की गई पचौरी कमेटी की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि सेतुसमुद्रम पोत परिवहन मार्ग बनाने की परियोजना आर्थिक एवं पर्यावरणीय दोनों ही दृष्टि से ठीक नहीं है। इसके अलावा भाजपा, अन्नाद्रमुक और हिंदू संगठनों की ओर से इस आधार पर परियोजना का विरोध किया जा रहा है कि रामसेतु भगवान राम से जुड़ा है और इस धार्मिक महत्व के कारण उसे तोड़ा नहीं जाना चाहिए। एक बार इस परियोजना से संबंधित अपना हलफनामा वापस ले चुकी केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश नए शपथपत्र में कहा है कि इस धार्मिक विश्वास की पुष्टि नहीं हो सकी है कि भगवान राम ने इस सेतु को श्रीलंका से लौटते समय तोड़ा था और फिर किसी तोड़ी गई चीज की पूजा नहीं की जाती। सरकार ने यह भी तर्क दिया है कि जो धार्मिक विश्वास संबंधित धर्म का आंतरिक और आवश्यक अंग न हो उसे संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत संरक्षित नहीं किया जा सकता।
भाजपा को यह हलफनामा रास नहीं आया है। उसने शनिवार को सेतुसमुद्रम परियोजना पर आगे बढ़ने के खिलाफ सरकार को चेतावनी देते हुए इस परियोजना को रद करने की मांग की। भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘सरकार आरके पचौरी कमेटी की संस्तुतियों को उपेक्षा कर इस परियोजना को आगे बढ़ा रही है। प्रसाद ने सवाल किया कि क्या इसे तोड़ना ही एक मात्र समाधान है? उनके अनुसार बगैर रामसेतु के तो आप रामायण के बारे में सोच भी नहीं सकते।’ रामसेतु एक पौराणिक सेतु है जिससे होकर राम और उनकी सेना ने रावण के राज्य पर आक्रमण करने के लिए समुद्र पार किया था।