पाक में चुनी सरकार पहली बार कल पूरा करेगी अपना कार्यकाल

pak pm 2013-3-15मुंबई। पाकिस्तान में पहली बार शनिवार को कोई चुनी हुई सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। अपने 65 वर्ष के इतिहास में पाकिस्तान को लोकतंत्र का यह अनुभव इससे पहले कभी नहीं हुआ। भारत में कम लोग जानते होंगे कि पाकिस्तान ने आजाद होने की खुशफहमी भले ही भारत से एक दिन पहले 14 अगस्त, 1947 को पाल ली हो, लेकिन ब्रितानी रानी एलिजाबेथ द्वितीय का राज वहां 1956 तक रहा।

पाकिस्तान की आजादी केबाद मुस्लिम लीग केअध्यक्ष मोहम्मद अली जिन्ना वहां के नए गवर्नर जनरल बने और पार्टी केमहासचिव लियाकत अली खान पहले प्रधानमंत्री। लेकिन फौज की साजिशें लियाकत अली के समय से ही ऐसी शुरू हुई कि एक साजिश में 16 अक्तूबर, 1951 को लियाकत अली की हत्या हो गई। लियाकत अली की हत्या केबाद 1951 से 1958 तक के सात वर्षो में पाकिस्तान को सात प्रधानमंत्री और मिले। लेकिन ये सभी गवर्नर जनरल द्वारा नियुक्त थे, न कि चुनकर आए हुए।

पाकिस्तान- समाज एवं संस्कृति नामक पुस्तक के लेखक फिरोज अशरफ के अनुसार पाकिस्तान में पहला लोकतांत्रिक चुनाव ही उसे आजादी मिलने के करीब 23 साल बाद 1970 में हुआ। इस चुनाव केसमय आज का बंगलादेश भी तब पूर्वी पाकिस्तान केरूप में पाकिस्तान का ही हिस्सा था। इस चुनाव में पूर्वी पाकिस्तान के नेता शेख मुजीबुर्रहमान की पार्टी अवामी लीग को 155 सीटें एवं पश्चिमी पाकिस्तान केनेता जुल्फिकार अली भुट्टो की पीपुल्स पार्टी को सिर्फ 81 सीटें मिलीं। लेकिन भुट्टो ज्यादा सीटें पानेवाले मुजीबुर्रहमान को सत्ता सौंपने को तैयार नहीं थे। पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के दो नेताओं केइसी झगड़े ने बंगलादेश का निर्माण करवा दिया।

उसकेबाद पाकिस्तान में 14 अगस्त, 1973 से 5 जुलाई, 1977 तक जुल्फिकार अली भुट्टो प्रधानमंत्री रहे। लेकिन चूंकिउनकी पार्टी को चुनाव में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ था, इसलिए उसे लोकतांत्रिक पद्धति से बनी हुई सरकार का दर्जा हासिल नहीं था।

भुट्टो केबाद सैनिक शासन चला रहे जनरल जिया उल हकने 1985 में बिना किसी पार्टी का चुनाव करवा के मुहम्मद खान जुनैजो को प्रधानमंत्री घोषित कर दिया था। उनकेबाद जुल्फिकार अली भुट्टो की पुत्री बेनजीर भुट्टो एवं पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज गुट) के अध्यक्ष नवाज शरीफ दो-दो बार प्रधानमंत्री चुने गए। लेकिन उनकी सरकारें अपना कार्यकाल कभी पूरा नहीं कर सकीं।

नवंबर, 2002 से मार्च, 2008 तक जनरल परवेज मुशर्रफ केहस्तक्षेप के रूप में जफरुल्ला खान जमाली, चौधरी सुजात हुसैन, शौकत अजीज एवं मुहम्मद मियां शुमरू ने प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारियां संभालीं। लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में इनका नाम पाकिस्तान में भी कम ही लोगों को याद है। क्योंकि इनमें से कोई भी जनता केमत से चुनकर नहीं आया था।

27 दिसंबर, 2007 को बेनजीर भुट्टो की नृशंस हत्या केबाद उपजी सहानुभूति लहर से चुनकर आई पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सरकार लोकतांत्रिकपद्धति से बनीऐसी पहली सरकार है, जिसे अपना कार्यकाल पूरा करने का मौका मिला है। पाकिस्तान-इंडिया पीपुल्स फोरम फॉर पीस एंड डेमोक्त्रेसीनामक संगठन केसंयुक्त सचिव जतिन देसाई केअनुसार इस सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद एक कार्यवाहक प्रधानमंत्री की देखरेख में अगला चुनाव होगा।

कार्यवाहक प्रधानमंत्री चुनने केलिए सत्ता पक्ष पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी एवं सभी विरोधी दलों (इमरान खान की पार्टी को छोड़कर) की ओर से तीन-तीन नाम दिए जा चुकेहैं। सहमति बनी तो इनमें से कोई नाम चुना जाएगा, अथवा चुनाव आयोग अपनी तरफ से कोई कार्यवाहकप्रधानमंत्री चुनेगा, जिसकी देखरेख में अगला चुनाव करवाया जा सके।

error: Content is protected !!