डीएसपी के भाई को मिली नौकरी, सीबीआई खोलेगी हत्याकांड का राज

dsp-murder-dsp-brother-join-todayप्रतापगढ़ । बलीपुर में घटना की रात प्रधान के भाई सुरेश यादव के पहले सीओ जियाउल हक की हत्या हुई थी, तत्कालीन एसओ मनोज शुक्ला की नजर में ऐसा ही हुआ था। सच्चाई तो यह है कि पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने में यह खेल अपने बचाव के लिए किया था।

प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो सुरेश यादव को गोली लगने के बाद आक्रोशित लोगों ने सीओ जियाउल हक समेत पुलिस कर्मियों पर हमला बोला था, जबकि तत्कालीन एसओ मनोज शुक्ला की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे पर गौर करें तो उसके अनुसार पहले सीओ जियाउल हक की हत्या हुई थी। उन्हें रात नौ बजे गोली लगी थी। सीओ समेत अन्य पुलिस कर्मियों पर प्रधान के भाई फूलचंद्र, पवन, सुधीर, बेटे बबलू उर्फ योगेंद्र, सज्जन कुमार, रामसूरत, नन्हे गौतम, घनश्याम सरोज, मंजीत यादव, रामलखन ने हमला बोला था। जबकि सुरेश को गोली रात लगभग सवा नौ बजे लगने की बात पवन की ओर से दर्ज की गई तहरीर में कही गई है। इतना ही नहीं, मुकदमा दर्ज करने के दौरान भी पहले दो मार्च को रात 11.20 बजे सीओ की हत्या की एफआइआर दर्ज की गई और उसके दस मिनट बाद 11.30 बजे सुरेश की हत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई। वैसे पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने में यह खेल अपने बचाव के लिए किया था।

शहीद सीओ के भाई को आरक्षी

कल्याण का पद, आज करेंगे ज्वाइन गोरखपुर । सीओ जियाउल हक के भाई सोहराब अली को सरकार ने आरक्षी कल्याण की नौकरी प्रदान की है। इस पद पर वह बुधवार को गोरखपुर के आइजी कार्यालय में ज्वाइन करेंगे। इसके लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। सीओ के भाई की ज्वाइनिंग कराने के संबंध में शासन ने पिछले दिनों पत्र भेज कर आइजी जोन गोरखपुर को आदेशित किया था। इस बाबत सोहराब अली ने आइजी का कार्यभार देख रहे डीआइजी रेंज नवीन आरोड़ा से सोमवार को मुलाकात की थी। उनकी ज्वाइनिंग के लिए सारी औपचारिकताएं मंगलवार को पूरी कर ली।

प्रधान परिवार के असलहे से हुई सीओ की हत्या!

लखनऊ । प्रतापगढ़ जिले के बलीपुर गांव में दो मार्च को हुए तिहरे हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआइ को असलहों की बैलेस्टिक रिपोर्ट मिल गयी है। सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में घटना में मारे गए ग्राम प्रधान नन्हें यादव के परिवार के सभी असलहों से फायरिंग होने की बात पुष्ट की गयी है। इस रिपोर्ट से सीओ कुंडा जियाउल हक की हत्या का राजफाश होने की उम्मीद भी बढ़ गयी है। सीबीआइ ने बीते दिनों प्रधान नन्हें यादव की 315 बोर की राइफल, सुरेश यादव की 12 बोर की बंदूक और फूलचंद की .32 बोर की पिस्टल कब्जे में लेकर फोरेंसिक जांच के लिए भेजा था। जांच में इन असलहों से फायरिंग होने की बात सामने आई है। विशेषज्ञ इस बात की पड़ताल में जुट गए हैं कि क्या सीओ को 315 बोर की रायफल या .32 बोर की पिस्टल से गोली मारी गयी। सीबीआइ ने अभी तक इस सिलसिले में कोई जानकारी नहीं दी है, लेकिन जानकारों का कहना है कि .32 बोर की पिस्टल से छह फुट की दूरी से गोली मारी गयी है।

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