नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक रेप पीड़ित युवती की याचिका पर उसे गर्भ गिराने की इजाजत दे दी। न्यायालय ने पुलिस को निर्देश दिया है कि वह युवती को तीन दिन के भीतर एम्स अस्पताल में ले जाया जाए और वहां के दो अनुभवी डॉक्टरों का एक बोर्ड बनाकर पीड़िता का गर्भपात कराया जाए। गर्भपात के बाद भ्रूण को डीएनए जांच के लिए सुरक्षित रखा जाए, जिससे कि आरोपी के डीएनए से मिलान करने में आसानी हो।
न्यायमूर्ति एसपी गर्ग ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि चूंकि पीड़िता अविवाहित है और उसका गर्भ छह सप्ताह का है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट-1971 के तहत 12 सप्ताह तक गर्भपात किया जा सकता है। लिहाजा, युवती को गर्भपात की अनुमति दी जाती है।
अधिवक्ता किरन सिंह के माध्यम से दायर याचिका में याचिकाकर्ता का कहना था कि कपिल नाम के युवक ने शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया। बाद में जब उसे पता चला कि कपिल पहले से शादीशुदा है तो उसने इस साल 31 जनवरी को उसके खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया। पुलिस ने कपिल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस दौरान पता चला कि उसे छह सप्ताह का गर्भ है। वह दिल्ली में ही अपनी एक सहेली के साथ रहकर पढ़ाई कर रही है। इस घटना के बारे में उसके परिजनों तक को जानकारी नहीं है। ऐसे में अगर, वह बच्चे को जन्म देती है तो उसकी बदनामी होगी।