विदेश दौरों के लिए भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की इजाजत लेना केंद्रीय मंत्रियों के लिए लगातार मुश्किल होता जा रहा है. साल 2009 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने से लेकर अब तक वे 50 मंत्रियों के विदेश जाने के आवेदन ठुकरा चुके हैं.
लेकिन मनमोहन सिंह पीएम शुरू में इतने ‘कठोर’ नहीं थे. दरअसल पहले कुछ महीनों तक तो वे लगभग सभी को इजाजत दे देते थे.
मई 2009 में वे दूसरी बार प्रधानमंत्री के पद पर बैठे. तब से लेकर साल के अंत तक उन्हें केंद्रीय मंत्रियों और केंद्रीय राज्य मंत्रियों के विदेश जाने की इजाजत के 52 निवेदन प्राप्त हुए.
केवल एक मंत्री यानी सुबोध कांत सहाय को छोड़ कर सभी को अनुमति दे दी गई.
अब जरा इसकी तुलना कीजिए इस साल से. इस साल के पहले पांच महीनों में उन्हें इतने ही, यानी 52, निवेदन मिले. लेकिन इनमें से दस निवेदनों को ठुकरा दिया गया.
दरअसल पूरे 2010 में उन्होंने केवल नौ निवेदन ठुकराए थे जबकि 68 मंत्रियों ने उनसे विदेश जाने की अनुमति मांगी थी.
लेकिन अगले साल लगभग एक-तिहाई मंत्रियों को विदेशी दौरे पर जाने की मंजूरी नहीं मिली. कुल मिला कर 89 निवेदन मिले थे जिनमें से प्रधानमंत्री की ओर से 30 को ठुकरा दिया गया.
बीबीसी द्वारा जुटाई जानकारी में यह भी देखने में आया कि है प्रधानमंत्री का इस बारे में कड़ा रुख पिछले साल से ही देखने में आया है.
कटौती
सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री की मंत्रियों को इजाजत देने में सख्ती बरतने का कारण कटौती है हालांकि वो अनुमति की मांग को खारिज करते हुए इस शब्द का स्पष्ट तरीके से इस्तेमाल कम ही करते हैं.
अधिकतर मामलों में वे मंत्री को बस यही लिखते हैं कि प्रधानमंत्री जरूरी नहीं समझते कि मंत्री इस विदेश यात्रा पर जाएं.
कई मामलों में वे मंत्रियों से दौरा रद्द करने को भी कहते हैं. और कई बार तो टेलीफोन पर ही प्रधानमंत्री की अनुमति न देने की बात कह दी जाती है.
मिसाल के तौर पर अप्रैल में जब पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री जयंती नटराजन ने स्वीडन जाने की अनुमति मांगी तो उनके यह कहा गया कि प्रधानमंत्री समझते हैं कि मंत्री को यह दौरा नहीं करना चाहिए.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद इस साल जिनेवा, स्विटजरलैंड जाना चाहते थे लेकिन उनसे कहा गया कि प्रधानमंत्री को लगता है कि दौरा करने की कोई जरूरत नहीं है.
कुछ और कारण
हालांकि कुछ मामलों में विदेशी दौरे की इजाजत न देने के कई और कारण भी होते हैं. जैसे अप्रैल के महीने में विदेश राज्य मंत्री ई अहमद सीरिया जाना चाहते थे लेकिन उसे सीरिया की स्थिति की वजह से माना नहीं गया.
कई मामलों में ‘चालू संसदीय सत्र’ को दौरे की इजाजत न देने का कारण बताया गया है.
वो मंत्री जिनकी गुजारिश नहीं मानी गई उनमें प्रवासी मामलों के केंद्रीय मंत्री व्यालार रवि, श्रम एवं रोजगार मल्लिकार्जुन खड़गे, सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री तुषार ए. चौधरी, कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल और बिजली मंत्री का कार्यभार संभालकर अभी ही गृह मंत्री बने सुशील कुमार शिंदे शामिल हैं.