नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के कारण हथियार जुटाने की प्रतिस्पर्धा से पूरी दुनिया वाकिफ है लेकिन एक समय ऐसा भी आया था जब भारत ने अपने पड़ोसी मुल्क को परमाणु हथियार तकनीक देने की पेशकश की थी।
इस बात का खुलासा करते हुए विकिलीक्स ने कहा है कि 1974 में पहली बार पोखरण में परमाणु परीक्षण के बाद भारत ने पाकिस्तान को परमाणु तकनीक देने की पेशकश की थी। 22 जुलाई 1974 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने परमाणु परीक्षण के बाद संसद में दिए बयान में इस बात का जिक्र किया था। गांधी ने अपने बयान में कहा था, मैंने अपनी चिट्ठी में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को इस परीक्षण के शांतिपूर्ण और आर्थिक मकसद की जानकारी दी और अगर वो चाहें तो हम अपनी परमाणु तकनीक पाकिस्तान के साथ साझा करने को तैयार हैं। साथ ही यह तकनीक दूसरे देशों के साथ भी साझा करने को तैयार हैं ताकि सब देशों के बीच इस मसले पर आपसी भरोसा और समझ कायम किया जा सके।
इंदिरा गांधी का यह असाधारण प्रस्ताव दुस्साहसिक था लेकिन समान रूप से दूरदर्शी भी था। भारत यह कहना चाहता था कि उसका परमाणु तकनीक पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाने के लिए विकसित नहीं किया गया है।
हालांकि भुट्टो ने गांधी के प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि भारत ने पहले भी कई आश्वासन दिए थे लेकिन उन पर वह खरा नहीं उतरा। भुट्टो ने कहा कि परमाणु परीक्षण किसी परमाणु हमले से कम नहीं है। गौरतलब है कि भारत द्वारा दूसरे परमाणु परीक्षण के बाद पाकिस्तान ने मई 1998 में अपना पहला परमाणु परीक्षा किया था।
गांधी का पाकिस्तान को परमाणु तकनीक देने की पेशकश यह दर्शाना नहीं था कि भारत एक सक्षम परमाणु संपन्न देश बन गया है, बल्कि वह अपने आत्मविश्वास के जरिए दुनिया को यह बताना चाहती थीं कि भारत वैध परमाणु आपूर्तिकर्ता बन सकता है।