इलाहाबाद। वर्ष 1962 के चीन युद्ध के बाद आहत स्वाभिमान व भीषण आर्थिक तंगी के बीच देश के भरोसेमंद ‘हवाई सुरक्षा कवच’ के रूप में उभरे मिग 21 विमान अब ‘सेवानिवृत्त’ होने जा रहे हैं। सबसे पुराने मिग 21 विमान फरवरी 2014 में अपनी अंतिम उड़ान भरेंगे। हादसों के चलते हाल के वर्षो में काफी बदनामी झेल चुके यह विमान आज भी अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ गिने जाते हैं। मिग श्रेणी के उच्चीकृत बीसन विमान भी 2019 तक सेवानिवृत्त कर दिए जाएंगे।
विशेषज्ञों के अनुसार चीन युद्ध के बाद भारत सुपरसोनिक इन्टरसेप्टर की तलाश कर रहा था जो मिराज तीन और अमेरिका के स्टार फाइटर का मुकाबला कर सके। मिग 21 उस समय सबसे सस्ते व बेहतरीन विकल्प के रूप में सामने आया था। तब से यह व इसकी श्रेणी के अन्य विमान लगातार भारतीय सीमाओं की सुरक्षा करते रहे हैं। वायुसेना प्रमुख एन ए के ब्राउन ने ‘जागरण’ को मिग विमानों को सेवानिवृत्ति देने का विस्तृत विवरण दिया।
ब्राउन के अनुसार भारतीय वायुसेना में मिग विमान 20 अप्रैल को अपने 50 वर्ष पूरे कर चुके हैं। वर्ष 1987 में अंतिम बार मिग विमान बनाया गया था। तब से इसका निर्माण बंद हो चुका है। भारतीय वायुसेना में 874 मिग 21 विमान थे। मिग श्रेणी के कुल कार्यरत विमानों की संख्या फिलहाल 2064 है। सर्वाधिक पुराने 16 विमान इस समय कार्यरत हैं। यह विमान सबसे पहले वायुसेना से हटाए जा रहे हैं।
वायुसेना चीफ ने बताया कि यह विमान फरवरी 2014 में अंतिम बार उड़ान भरेंगे। तीन स्क्वाड्रन 2016 तक हटा दिए जाएंगे जबकि उच्चीकृत किए गए बीसन विमान 2018 तक हटा लिए जाएंगे। किन्ही भी परिस्थितियों में 2019 के बाद मिग विमान भारतीय वायुसेना में नहीं रहेंगे।