बीएमडब्ल्यू केस में संजीव नंदा को राहत

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 1999 के बीएमडब्ल्यू हिट एंड रन केस में शुक्रवार को मुख्य आरोपी संजीव नंदा को राहत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए संजीव नंदा पर 50 लाख रुपये जुर्माना लगाया है। इसके साथ ही, उनको दो साल तक समाज सेवा करने का आदेश दिया है।

गौरतलब है कि संजीव नंदा की बीएमडब्ल्यू से राष्ट्रीय राजधानी में 10 जनवरी, 1999 को हुई दुर्घटना में छह लोग मारे गए थे।

इस मामले में हाई कोर्ट ने संजीव नंदा को दो साल कैद की सजा सुनाई थी। मगर दिल्ली पुलिस ने इसे अपर्याप्त बताते हुए इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। पुलिस का मानना था कि संजीव नंदा को कम से कम पाच साल की सजा मिलनी चाहिए।

2008 में दिल्ली की निचली अदालत ने संजीव नंदा को 5 साल की सजा सुनाई। हालाकि जिस धारा के तहत संजीव नंदा को सजा सुनाई गई, उसमें 10 साल की कैद हो सकती था। लेकिन एक साल बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने संजीव नंदा की सजा को 5 से घटा कर 2 साल कर दिया। उस वक्त संजीव नंदा जेल में था और उसने एक साल 9 महीने तक की सजा काट ली थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में उसकी3 महीने की सजा माफ कर दी। कोर्ट ने संजीव नंदा को आईपीसी की धारा 304 के तहत दोषी माना जबकि निचली अदालत ने उसे धारा 304 (1) के तहत दोषी करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संजीव नंदा का व्यवहार जेल में बहुत अच्छा रहा था और इस हादसे से पहले उसने कोई और जुर्म नहीं किया था।

इस हादसे में हाईकोर्ट ने तीन लोगों को सबूत मिटाने का दोषी पाया था। सुप्रीम कोर्ट ने उन तीनों को आरोपों से बरी कर दिया है। लेकिन हादसे में सबसे दिलचस्प पहलू था वकील आईयू खान और आरके आनंद की भूमिका। खान दिल्ली पुलिस के वकील थे जबकि मशहूर वकील आरके आनंद नंदा की वकालत कर रहे थे।

एक स्टिंग ऑपरेशन में दोनों वकीलों को पैसे के बदले केस संजीव नंदा के हक में निपटाने की बात करते दिखाया गया था। हाईकोर्ट ने दोनों वकीलों को कोर्ट की अवमानना का दोषी पाया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने खान को आरोपों से बरी कर दिया जबकि आरके आनंद के वकालत करने पर 4 महीने की पाबंदी लगा दी थी।

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