सुदीप्त सेन: नक्सली से बना घोटालों का बादशाह

sudipta senनई दिल्ली। आपको ये जान कर हैरानी होगी की चिट फंड कंपनी सारधा समूह के मालिक सुदीप्त सेन जिनपर निवेशकों को करोड़ों का चूना लगाने का आरोप है वे पहले एक नक्सली थे। आईए जानते हैं सुदीप्त के एक नक्सली से घोटाले का बादशाह बनने तक का सफर।

1970 में नक्सली आंदोलन के दौरान शंकरादित्य सेन उर्फ शंकर के नाम से जाने जाने वाला मशहूर नक्सली और कोई नहीं बल्कि सुदीप्त सेन ही था। बांग्लादेश के ढाका में जन्म लेने वाला सुदीप्त बचपन से अधिकारों की लड़ाई लड़ता था। इस दौरान उसे कई बार जेल भी जाना पड़ा। जेल में सेन की मुलाकात कई बड़े नक्सल नेताओं से हुई। उनमें से एक थीं चारु मजूमदार। चारु सेन के कुछ कर गुजरने के जज्बे से काफी प्रभावित हुईं और उन्हें अपने साथ कर लिया।

सुदीप्त नक्सल आंदोलन के बाद काफी समय के लिए लापता हो गया था। लेकिन वह एक नए अवतार में वापस आया। साल 1950 में सेन ने ढाका में जन्म लिया। सेन चार भाई थे। शुक्ला, शिलादित्य, शंकरादित्य और विक्रमादित्य। सुदीप्तो के पिता का नाम नृपेंद्रनारायण सेन और माता का नाम रेणूकना सेन है। सुदीप्त के ससुर सर्वे ऑफ इंडिया में और सास कैलकाटा टेलिफॉन में काम करती थी। सेन का परिवार विभाजन के दौरान बांग्लादेश के ढाका से कोलकाता आ गया था। शिलादित्य की पत्नी माया से बातचीत के दौरान उन्होंने ये बातें बताईं।

साल 1962-63 में सेन का परिवार कोलकाता के एंटाली में आकर बस गया था। सुदीप्त काफी अच्छा बोल लेते थे, उनमें लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता थी। शायद इसलिए ही सेन ने हजारों लोगों को आसानी से बेवकूफ बना लिया। सेन की जिंदगी तब बदली जब जेल में रहते रहते उन्होंने बड़े राजनेताओं से संपर्क साधा और उनके जरिए अपने पांव भी पसारने लगे। उन्हीं के सहारे से जेल में रहने के दौरान ही सेन एक लैंड ब्रोकर बन गए। उसके बाद चल पड़ा सेन की सफलता का सिलसिला।

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