आज पृथ्वी के सबसे नजदीक होगा शनि

2013-is-the-best-time-for-saturn-observationमुंबई । सौरमंडल का एक मह8वपूर्ण ग्रह शनि रविवार को पृथ्वी के सबसे नजदीक होगा। सौरमंडल में रुचि रखनेवाले लोग सूर्यास्त के समय सूर्य की स्थिति के बिल्कुल विपरीत यानी पश्चिम की ओर शनि के दर्शन कर सकते हैं। हमेशा न दिखने वाला यह ग्रह कन्या राशि में चित्रा नक्षत्र के पास दिखाई देगा।

मुंबई स्थित नेहरू प्लैनेटोरियम से जुड़े रहे मशहूर खगोल शास्त्री डॉ.भरत अदूर के अनुसार रविवार को दोपहर बाद 1.57 बजे शनि ग्रह पृथ्वी के सबसे नजदीक होगा। इस समय हमारी पृथ्वी इन दो बड़े ग्रहों सूर्य और शनि के बिल्कुल बीच में होगी। वैसे तो ग्रहों की परिक्रमा में यह स्थिति हर साल आती रहती है, लेकिन 2013 की स्थिति इसलिए विशेष मानी जा रही है क्योंकि अगले दस वर्ष तक पृथ्वी और शनि के बीच यह दूरी सबसे कम अर्थात 132.2 करोड़ किलोमीटर होगी। जबकि सामान्य परिस्थितियों में पृथ्वी और शनि के बीच की दूरी 165 करोड़ किलोमीटर मानी जाती है।

मुंबई के निकट आकाश गंगा सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी [एजीसीए] के संस्थापक डॉ.अदूर के अनुसार आजकल मौसम साफ होने के कारण 28 अप्रैल को सूर्यास्त के बाद से 29 अप्रैल के सूर्योदय तक शनि को दूरबीन अथवा बिना दूरबीन के भी देखा जा सकता है। इस दौरान शनि एक तारे की भांति ही दिखाई देगा, लेकिन उसमें टिमटिमाहट नहीं होगी। दूरबीन से देखने पर इसके किनारे का चमकदार घेरा भी देखा जा सकेगा।

गौरतलब है कि शनि सौरमंडल में सूर्य से छठें स्थान पर स्थित बृहस्पति के बाद सबसे बड़ा ग्रह है। इसका अपनी कक्षा में परिभ्रमण का पथ 14,29,40,000 किलोमीटर है । इसके 47 उपग्रह माने जाते हैं। जिनमें टाइटन सबसे बड़ा है। वैसे तो शनि ग्रह की खोज प्राचीन काल में ही हो गई थी, लेकिन मशहूर वैज्ञानिक गैलीलियो गैलिली ने सन् 1610 में दूरबीन की सहायता से इसे पहली बार देखा। इस ग्रह की रचना 75 फीसद हाइड्रोजन एवं 25 फीसद हीलियम गैसों से हुई है। शनि सौरमंडल के उन चार विशाल ग्रहों में से एक है, जिन्हें गैस दानव कहा जाता है। क्योंकि इन ग्रहों पर जल, मिथेन, अमोनिया या पत्थर बहुत कम मात्रा में या नहीं पाए जाते हैं। यह पृथ्वी से 763 गुना बड़ा एवं 95 गुना भारी ग्रह है। लेकिन गैसीय ग्रह होने के कारण इसका घनत्व पृथ्वी की तुलना में काफी कम है।

सूर्य-शनि की लुकाछिपी

जिस प्रकार खगोलीय घटना में रविवार को शनि उस समय उदय होते नजर आएंगे जब सूर्य अस्त हो रहे होंगे, उसी प्रकार ज्योतिषीय दृष्टिकोण में भी सूर्य और शनि का रिश्ता हमेशा 36 का दिखाई देता है। सूर्य सिद्धांत का उद्धरण देते हुए ज्योतिषाचार्य पंडित पवन कुमार त्रिपाठी बताते हैं कि वैसे तो ज्योतिष शास्त्र में शनि को सूर्य का पुत्र माना जाता है, लेकिन सूर्य जहां अपने प्रकाश और तेज के लिए जाने जाते हैं, वहीं शनि का प्रतिबिम्ब मलिन माना जाता है। शनि को पूर्व जन्म का ग्रह माना जाता है तो सूर्य को वर्तमान का। सूर्य को पूरब दिशा का स्वामी माना जाता है, तो शनि को पश्चिम का। सूर्य को जीवन का देवता माना जाता है, तो शनि को मृत्यु का। इस प्रकार एक दूसरे के विपरीत रहने वाले सूर्य और शनि की जब किसी ग्रह में युति होती है, तो वह स्थिति ज्योतिष में अशुभ का संकेत मानी जाती है।

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