कोलगेट: सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद मनमोहन से मिले अश्विनी

pm with ashwaniनई दिल्ली। कोयला घोटाले की जांच की आंच में सरकार एक बार फिर घिरती नजर आ रही है। सीबीआइ द्वारा जांच रिपोर्ट को सरकार से साझा करने पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सख्त नाराजगी जताई है। कोर्ट ने जांच एजेंसी से पूछा है कि वह बताए कि स्टेटस रिपोर्ट में किसके कहने पर क्या-क्या बदलाव किए गए।

सीबीआइ के हलफनामे पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि एजेंसी ने रिपोर्ट सरकार से साझा कर पूरी व्यवस्था को हिलाकर रख दिया गया। कोर्ट ने कहा कि मामले की हर हाल में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और इसके लिए सीबीआइ को बाहरी दबाव से मुक्त होना होगा। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दबाव से सीबीआइ को मुक्त करना हमारी प्राथमिकता होगी।

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कोर्ट ने साफ तौर पर सरकार को भरोसा तोड़ने वाला करार देते हुए कहा कि हलफनामे में कई बातें ऐसी हैं जो चिंताजनक और परेशान करने वाली हैं। कोर्ट ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में उसे भी अंधेरे में रखा गया। कोर्ट ने पूछा कि क्या कानून मंत्री या अधिकारी, पीएमओ और कोयला यह अधिकार है कि वह सीबीआइ को बुलाए और उसकी जांच रिपोर्ट देखे और उसमें अपने मुताबिक संशोधन कराए।

सुप्रीम कोर्ट ने छह मई को सीबीआइ के निदेशक को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने को कहा है कि स्टेटस रिपोर्ट में क्या-क्या और किसने कहने पर ये बदलाव किए गए।

इस बीच, कानून मंत्री अश्रि्वनी कुमार ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की। मनमोहन ने अपने बयान में कहा है कि कोयला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जो टिप्पणी की है मैं उसका अध्ययन कर रहा हूं। इस मामले में जो भी आवश्यक कार्रवाई होगी, की जाएगी।

गौरतलब है कि सीबीआइ की जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश करने से पहले सीबीआइ ने कानून मंत्री एवं पीएमओ के वरिष्ठ अधिकारियों की दिखाई थी और इसके बाद इसमें कुछ निर्देशित तथ्य जोड़े एवं हटाए गए थे।

सोमवार को यह बात सामने आने के बाद सरकार की परेशानी और बढ़ गई कि सीबीआइ ने कानून मंत्री के अलावा पीएमओ और कोयला मंत्रालय के एक-एक अफसर से साझा की गई प्रगति रपट के साथ ही मूल रपट भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है। इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि जांच रपट में किसके स्तर पर क्या बदलाव कराए गए?

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार व सीबीआइ से क्या-क्या पूछे सवाल :-

-8 मार्च को सौंपी गई स्टेटस रिपोर्ट में इस बात का खुलासा क्यों नहीं किया गया था कि इसे सरकार या उसके किसी अधिकारी से भी साझा किया गया है?

-विधि अधिकारियों ने यह कहकर कोर्ट को क्यों गुमराह किया कि रिपोर्ट को किसी को नहीं दिखाया गया है?

-ड्राफ्ट रिपोर्ट में क्या बदलाव किए गए उसकी विस्तृत जानकारी 26 अप्रैल को सौंपे गए स्टेटस रिपोर्ट में क्यों नहीं दी गई?

-सीबीआइ को बाहरी व राजनीतिक दबाव से मुक्त करने के लिए क्या किया जाना चाहिए?

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