नई दिल्ली। सच कहते हैं कि सत्ता पूर्णतया भ्रष्ट होती है। सत्ता की हनक की शिकार सीबीआई भी है। सहयोगी हों चाहे विपक्ष सभी सीबीआइ के दुरुपयोग का आरोप लगाते रहे हैं। कोयला आवंटन घोटाले में सीबीआइ की कलई भी खुल गई है। सीबीआइ के सहारे सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को भी लताड़ लगाई। कोयले की कालिख से सरकार का मुंह काला हो गया है। कोल आवंटन घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने स्टेटस रिपोर्ट सरकार को दिखाया था। जब इस मामले का खुलासा हुआ तो सुप्रीम कोर्ट भड़क उठा। सुप्रीम कोर्ट में सीबीआइ ने कभी कुछ तो कभी कुछ बताया। अब जब सीबीआइ के निदेशक रंजीत सिन्हा ने हलफनामे में यह स्वीकार किया है कि जांच की स्टेटस रिपोर्ट कानून मंत्री और दो संयुक्त सचिवों को दिखाई गई है। तब सीबीआइ से सुप्रीम कोर्ट ने पांच सवाल पूछे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह इतना बड़ा विश्वासघात है कि उसने पूरी नींद को हिलाकर रख दिया है। यह सामान्य नहीं, बल्कि जानबूझकर किया गया धोखा है। पहले ही तय कर लिया गया था कि कोर्ट को इसकी जानकारी नहीं दी जाएगी। सीबीआइ से सुप्रीम कोर्ट के सवाल पढ़ें: सीबीआइ ने क्यों नहीं बताया कि 8 मार्च की रिपोर्ट सरकार को दिखाई गई थी? सीबीआइ के वकील ने 12 मार्च को अदालत को क्यों बताया कि रिपोर्ट किसी को नहीं दिखाई गई थी? पढ़ें: क्या कानून मंत्री को सीबीआइ ने रिपोर्ट देखने का अधिकार है? क्या कोयला मंत्रालय और पीएमओ के संयुक्त सचिव भी स्टेटस रिपोर्ट देख सकते हैं? पढ़ें: कानून मंत्री और दो संयुक्त सचिवों के अलावा क्या रिपोर्ट किसी और को दिखाई गई? किसके कहने पर बदलाव किए गए और उनका असर क्या हुआ?

supreme-court-ask-five-questions-to-cbiनई दिल्ली। सच कहते हैं कि सत्ता पूर्णतया भ्रष्ट होती है। सत्ता की हनक की शिकार सीबीआई भी है। सहयोगी हों चाहे विपक्ष सभी सीबीआइ के दुरुपयोग का आरोप लगाते रहे हैं। कोयला आवंटन घोटाले में सीबीआइ की कलई भी खुल गई है। सीबीआइ के सहारे सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को भी लताड़ लगाई। कोयले की कालिख से सरकार का मुंह काला हो गया है। कोल आवंटन घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने स्टेटस रिपोर्ट सरकार को दिखाया था। जब इस मामले का खुलासा हुआ तो सुप्रीम कोर्ट भड़क उठा। सुप्रीम कोर्ट में सीबीआइ ने कभी कुछ तो कभी कुछ बताया। अब जब सीबीआइ के निदेशक रंजीत सिन्हा ने हलफनामे में यह स्वीकार किया है कि जांच की स्टेटस रिपोर्ट कानून मंत्री और दो संयुक्त सचिवों को दिखाई गई है। तब सीबीआइ से सुप्रीम कोर्ट ने पांच सवाल पूछे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह इतना बड़ा विश्वासघात है कि उसने पूरी नींद को हिलाकर रख दिया है। यह सामान्य नहीं, बल्कि जानबूझकर किया गया धोखा है। पहले ही तय कर लिया गया था कि कोर्ट को इसकी जानकारी नहीं दी जाएगी।

सीबीआइ से सुप्रीम कोर्ट के सवाल

पढ़ें: सीबीआइ ने क्यों नहीं बताया कि 8 मार्च की रिपोर्ट सरकार को दिखाई गई थी?

सीबीआइ के वकील ने 12 मार्च को अदालत को क्यों बताया कि रिपोर्ट किसी को नहीं दिखाई गई थी?

पढ़ें: क्या कानून मंत्री को सीबीआइ ने रिपोर्ट देखने का अधिकार है? क्या कोयला मंत्रालय और पीएमओ के संयुक्त सचिव भी स्टेटस रिपोर्ट देख सकते हैं?

पढ़ें: कानून मंत्री और दो संयुक्त सचिवों के अलावा क्या रिपोर्ट किसी और को दिखाई गई?

किसके कहने पर बदलाव किए गए और उनका असर क्या हुआ?

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