यही हाल रहा तो महिलाओं की इज्जत पर और बढ़ेंगे खतरे

rapeनई दिल्ली। बड़ी-बड़ी बहस। एक के बाद एक सख्त कानून। संसद से सड़क तक आंदोलनों की भरमार। फिर भी सरकारें नाकाम। रेप, अपहरण, छेड़छाड़, परिवार में प्रताड़ना समेत अन्य अपराधों के मामले में महिलाओं पर खतरे बढ़ते जा रहे हैं। जहां की पुलिस जितनी सुसज्जित, वहां उतने ही बेखौफ अपराधी। सामाजिक ताना-बाना भी बिगड़ रहा है। संकेत और भी खतरनाक हैं। सेक्स को लेकर किशोर भी महिलाओं की तरफ ज्यादा आक्रामक हो रहे हैं। यही हाल रहा तो आने वाले समय में बहू-बेटियों की इज्जत, आबरू पर खतरे और बढ़ेंगे।

जिस देश में महज एक साल के अंतराल में महिलाओं से रेप के मामले में नौ प्रतिशत, अपहरण में 19 प्रतिशत, परिवार के भीतर ही उत्पीड़न के मामले में लगभग साढ़े पांच प्रतिशत, छेड़छाड़ में छह प्रतिशत और लड़कियों की तस्करी के मामले में 122 प्रतिशत तक की वृद्धि हो जाए, खुद अंदाजा लगाइए कि देश किस रास्ते पर है। महिलाओं के खिलाफ पूरे देश में हर तरह के अपराध बढ़ रहे हैं। रेप, छेड़छाड़ और लड़कियों की तस्करी के मामले में मध्य प्रदेश देश में सबसे आगे है। तो महिलाओं के अपहरण और दहेज हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश अव्वल है। दहेज हत्या में बिहार दूसरे स्थान पर है। पति और परिजनों के उत्पीड़न के मामले में पश्चिम बंगाल ने सारे रिकॉर्ड तोड़ रखे हैं।

‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता’ यानी जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवताओं का वास होता है। अब उसी देश में किशोरों में महिलाओं के प्रति अपराध में बढ़ोतरी का रुझान देखने को मिल रहा है। 2010 में रेप के 858 मामलों में किशोर शामिल थे। 2011 में यह आंकड़ा 1149 हो गया। बीते साल दिल्ली को दहलाने वाली गैंगरेप की घटना में भी एक किशोर शामिल था। 2010-2011 के दौरान पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ जितने अपराध हुए, उनमें 13 प्रतिशत अकेले दिल्ली में थे। उसके बाद बेंगलूर, हैदराबाद और विजयवाड़ा का नंबर है। इस दौरान देश के 53 शहरों में अकेले दिल्ली में रेप की 17.6 प्रतिशत और अपहरण की 32 प्रतिशत घटनाएं हुईं।

महिलाओं के अधिकारों के लिए बनी संसदीय समिति इन स्थितियों को देखकर हैरान है। समिति ने किशोर (जुवेनाइल) आयुसीमा 18 से घटाकर 16 करने की सिफारिश की है। लोकसभा सदस्य राजकुमारी रत्ना सिंह, सुमित्रा महाजन, सुप्रिया सुले, अनु टंडन, मौसम नूर, काकोली घोष दस्तिकार, यशोधरा राजे सिंधिया, उषा वर्मा और राज्यसभा से जया बच्चन, अनु आगा, माया सिंह, नाजनीन फारूकी, प्रभा ठाकुर व कनीमोरी समेत अन्य महिला सदस्य इस समिति में शामिल हैं। समिति को आशंका है कि यदि यही स्थिति रही तो 2013 के अंत तक देश में यौन उत्पीड़न की घटनाओं की दर और बढ़ जाएगी। समिति इस नतीजे पर पहुंची है कि दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में महिलाएं और असुरक्षित हो गई हैं। जिन महानगरों की पुलिस जितनी ही आधुनिक उपकरणों से लैस है, वहां अपराधी उतने ही बेखौफ हैं। एक तरह से बड़े महानगर अपराधियों के लिए ‘सेफ हैवेन’ साबित हो रहे हैं।

महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध की तुलनात्मक स्थिति : वर्ष 2010-2011

अपराध – वृद्धि दर (प्रतिशत) – सबसे खराब स्थिति वाला राज्य – कुल मामले (वृद्धि दर)

1- रेप – 9.2 – मध्य प्रदेश – 3406 (14.1)

2- अपहरण – 19.4 – उत्तर प्रदेश – 7525 (21.2)

3- दहेज हत्या – 2.7 – उत्तर प्रदेश – 2322 (26.9)

(दूसरे स्थान पर बिहार – 1413 मामले – 16.4 फीसद बढ़ोतरी)

4- पति/परिजनों द्वारा उत्पीड़न – 5.4 – पश्चिम बंगाल – 19772 (19.9)

5- छेड़छाड़ – 5.8 – मध्य प्रदेश (15.5)

6- यौन शोषण – 14 – आंध्र प्रदेश 3658 (42.7)

7- लड़कियों की तस्करी – 122 – मध्य प्रदेश – 45 (80 में से)

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