यूपी में कचहरी सीरियल ब्लास्ट के आरोपी की मौत

2007-serial-blast-accused-dies-up-govt-orders-probeलखनऊ। कचहरी सीरियल बम ब्लास्ट के आरोपी खालिद मुजाहिद की फैजाबाद कोर्ट में पेशी से लौटने के दौरान रास्ते में संदिग्ध हालात में मौत हो गई। बाराबंकी में रामसनेही घाट के पास अचानक तबीयत बिगड़ने पर खालिद पुलिस की वैन में ही बेहोश हो गया। उसे बाराबंकी के जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने खालिद को मृत घोषित कर दिया। खालिद 19 मार्च 2011 से लखनऊ कारागार में निरुद्ध था।

पुलिस के मुताबिक, खालिद के खिलाफ सीरियल ब्लास्ट के मामले में विस्फोटक अधिनियम, विधि विरुद्ध क्रिया-कलाप अधिनियम व देशद्रोह के तहत मुकदमे दर्ज थे। खालिद मुजाहिद की मौत की न्यायिक जांच होगी।

गृह विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक लखनऊ जेल प्रशासन की ओर से न्यायिक जांच के लिए जिला जज से अनुरोध किया जायेगा। सूत्रों के मुताबिक मौत की जांच फैजाबाद के सीजीएम भी करेंगे। देर रात एडीजी पावर कारपोरेशन जावेद अख्तर और सचिव गृह राकेश मिश्र मौके पर पहुंचे और अधिकारियों से जानकारी ली।

उधर, प्रदेश सरकार ने खालिद मुजाहिद की मौत की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिये हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सचिव (गृह) एडीजी या आईजी स्तर के पुलिस अधिकारी की अगुवाई में जांच कमेटी के गठन का निर्देश दिया है।

एसपी बाराबंकी सैय्यद वसीम अहमद के मुताबिक प्रथम दृष्टया यही लग रहा है कि खालिद की मौत बीमारी के कारण हुई है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। खालिद के साथ पेशी पर गए अन्य तीन आरोपी तारिक काजमी, मु.अख्तर उर्फ तारिक व सज्जाद उर्फ सजादुर्रहमान को कड़ी सुरक्षा में बाराबंकी की नगर कोतवाली ले जाया गया, जहां से उन्हें लखनऊ जेल वापस लाया जा रहा है। तारिक काजमी का कहना है कि खालिद चार दिन से बीमार था। 24 नवंबर 2007 में लखनऊ, बाराबंकी व फैजाबाद कचहरी में हुए सीरियल ब्लास्ट के आरोपी तीन महतवाना थाना मड़ियांव, जौनपुर निवासी खालिद मुजाहिद के अलावा तारिक काजमी, मु.अख्तर उर्फ तारिक व सज्जाद उर्फ सजादुर्रहमान को शनिवार सुबह करीब 9:30 बजे जिला कारागार से पुलिस अभिरक्षा में पेशी पर जिला सत्र न्यायाधीश चतुर्थ, फैजाबाद के जेल न्यायालय में पेशी पर ले जाया गया था। पेशी के बाद दोपहर करीब 3:40 बजे पुलिस टीम फैजाबाद से चारों आरोपितों को लेकर लखनऊ जेल वापस आ रही थी। तभी रामसनेहीघाट पहुंचने के समय खालिद के हाथ पैर ऐंठने लगे और वह लगभग बेहोश हो गया। इसपर पुलिस टीम उसे जिला चिकित्सालय ले गई। जहां चिकित्सकों ने खालिद को मृत घोषित कर दिया। दूसरी ओर डीआइजी कारागार शरद कुलश्रेष्ठ का कहना है कि चारों आरोपितों को सुबह 9:30 बजे जेल से पेशी के लिए रवाना किया गया था। तब उसकी तबीयत ठीक थी। जेल अधिकारी उसके बीमार होने की बात से इन्कार कर रहे हैं।

वहीं, इस संदर्भ में पुलिस महानिरीक्षक कानून-व्यवस्था राजकुमार विश्वकर्मा ने पत्रकारों को बताया कि रविवार को लखनऊ में चिकित्सकों के पैनल द्वारा खालिद का पोस्टमार्टम किया जायेगा और इसकी वीडियोग्राफी भी होगी।

खालिद की मौत की सूचना पर जौनपुर जिले के मड़ियाहूं से उसके ताऊ समेत अन्य परिवारीजन देर रात लखनऊ के लिए रवाना हो गए। परिवार वालों को जेल प्रशासन की ओर से उसकी मौत की जानकारी रात आठ बजे दी गई। जौनपुर के अपर पुलिस अधीक्षक सुरेश्वर मिश्र ने बताया कि परिवार के साथ सुरक्षा कर्मियों को भी भेजा गया है। उसके पुश्तैनी आवास मड़ियाहूं में सुरक्षा की दृष्टि से फोर्स तैनात कर दी गई है।

उल्लेखनीय है कि 23 नवंबर 2007 को फैजाबाद, वाराणसी और लखनऊ की कचहरियों में बम धमाके हुए थे। जौनपुर निवासी खालिद मुजाहिद को इसी आरोप में 22 दिसंबर 2007 को बाराबंकी से गिरफ्तार किया गया था। हालांकि खालिद के परिवारीजन ने यह आरोप लगाया था कि उसे एसटीएफ ने 16 दिसंबर को जौनपुर स्थित उसके गांव से पकड़ लिया था।

बाराबंकी में पकड़ा गया था खालिद

कचहरी सीरियल ब्लास्ट के मामले में एसटीएफ ने आरोपी खालिद मुजाहिद व तारिक काजमी को 22 दिसंबर 2007 को बाराबंकी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था। खालिद के खिलाफ दर्ज मुकदमों की पेशी बाराबंकी, फैजाबाद तथा लखनऊ कोर्ट में होती थी।

प्रदेश सरकार की सिफारिश को किया था खारिज

बम ब्लास्ट के आरोपी खालिद मुजाहिद और तारिक काजमी का बाराबंकी में दर्ज मुकदमा वापस करने के लिए प्रदेश सरकार की सिफारिश यहां न्यायालय ने खारिज कर दी थी। तीन मई को सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता विनोद कुमार द्विवेदी के माध्यम से एससी एसटी एक्ट की विशेष न्यायधीश के समक्ष आतंकी धमाकों के आरोपियों के नाम मुकदमे से हटाए जाने का प्रार्थना पत्र दिया गया था। अगली पेशी की तारीख 10 मई को न्यायधीश ने राज्य सरकार की इस सिफारिश को जनहित में विधिक तौर पर सही न होने की बात कहते हुए खारिज कर दिया था।

वहीं, एसएसी एसटी एक्ट की विशेष न्यायाधीश कल्पना मिश्रा द्वारा सरकार की सिफारिश खारिज करने के बाद जिला प्रशासन इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय लखनऊ खंड पीठ में रिवीजन की तैयारी में था। इस दिशा में सहायक शासकीय अधिवक्ता विनोद कुमार मिश्रा ने रिवीजन तैयार कर शासन को भेजने के लिए डीएम मिनिस्ती एस को सौंप दिया है।

हत्या का आरोप : बाराबंकी में आरोपियों के अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन है। खालिद की मौत की सूचना पर जिला अस्पताल पहुंचे रणधीर ने खालिद की हत्या का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि इस मामले में 42 पुलिसकर्मियों को सजा होनी थी। जिसके मद्देनजर उसे मौत की नींद सुला दिया गया।

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