राजघाट में महानुभाव नहीं लगा पाएंगे पौधे

no-more-trees-to-plant-in-rajghatनई दिल्ली। राजघाट परिसर में जगह की कमी के कारण अब कोई भी महानुभाव गांधी के सम्मान में पौधे नहीं लगा पाएंगे। दुनिया के कई राष्ट्राध्यक्षों की तरह भारत दौरे पर आए चीनी प्रधानमंत्री ली कछयांग ने भी राजघाट परिसर में पौधा लगाने की इच्छा जाहिर की थी। लेकिन सोमवार सुबह वह राजघाट पहुंचे तो बापू की समाधि पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर चले गए।

राजघाट समाधि समिति के निदेशक रजनीश कुमार ने कहा कि उन्होंने विदेश मंत्रलय को सूचना दे दी थी कि राष्ट्राध्यक्षों द्वारा पौधा लगाने के लिए राजघाट परिसर में जगह उपलब्ध नहीं है। इसलिए राजघाट दौरे के दौरान किसी राष्ट्राध्यक्ष के ऐसे आग्रह को स्वीकार नहीं करें। उनके मुताबिक राजघाट परिसर में पौधा लगाने का सिलसिला सन् 1950 से शुरू हुआ था। महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचे अधिकतर देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि प्रमुख लोगों ने उनके सम्मान में पौधे लगाए।

वर्ष 1984 में अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश सीनियर आए थे तो आम का पेड़ लगाया था। इसके बाद वर्ष 2000 में पत्नी संग आए बिल क्लिंटन ने भी चम्पा का पौधा लगाया। लेकिन इसके बाद इस परंपरा को कम कर दिया गया। भूटान नरेश जिग्मे केशर नाग्याल के दौरे के बाद पौधा लगाने की परंपरा को खत्म कर दिया गया है। राजघाट परिसर में दूसरे देशों के प्रधानमंत्रियों व राष्ट्रपतियों द्वारा लगाए लगाए गए कुल दौ सौ पौधों में से कई पौधे पेड़ बनने से पहले ही सूख गए। कुछ स्थानों पर पेड़ की जगह केवल राष्ट्राध्यक्षों की नेमप्लेट लगी है तो कहीं पर पेड़ व नेमप्लेट दोनों ही गायब हैं।

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