और बढ़े कैग के अधिकारों का दायरा: विनोद राय

audit-pppsनई दिल्ली। देश के सर्वाधिक चर्चित नियंत्रक-महालेखापरीक्षक [कैग] विनोद राय बुधवार को अवकाश ग्रहण करने जा रहे हैं। लेकिन चलते-चलाते उन्होंने इसके अधिकारों का दायरा बढ़ाने का मुद्दा उछाल दिया। राय के अनुसार, सरकारी निजी भागीदारी [पीपीपी], पंचायती राज और सरकारी फंड ले रहीं गैर सरकारी संस्थाओं [एनजीओ] को भी कैग के दायरे में शामिल किया जाना चाहिए।

राय अवकाश ग्रहण करने के एक दिन पूर्व मंगलवार को इस संवाददाता से खास बातचीत कर रहे थे। 2जी, कोयला घोटाला समेत अपनी अन्य रिपोर्ट को लेकर सरकार के निशाने पर रहे राय का कहना था कि इन हमलों से घबराकर उन्होंने कभी भी इस्तीफा देने के बारे में नहीं सोचा। बकौल कैग, ‘हमारी रिपोर्ट पर संसद, लोक लेखा समिति [पीएसी] और उसके बाहर भी खुलकर बहस तो होती ही है। इसलिए हम इसे अपने ऊपर कोई हमला अथवा विवादित टिप्पणी नहीं मानते हैं।’ उन्होंने कैग की नियुक्ति भी कोलेजियम [जैसे उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट के जजों का पैनल है] प्रणाली के जरिये करने की वकालत की। मुख्य सतर्कता आयुक्त [सीवीसी] की नियुक्ति इसी प्रणाली से जाती है। भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक के रूप में साढ़े पांच वर्ष का अपना कार्यकाल पूरा करने जा रहे राय का मानना है कि कैग को बहुसदस्यीय बनाने से कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है।

सिब्बल की जीरो लॉस टिप्पणी पर भड़के

रिटायर होने के एक दिन पहले काफी संयमित होकर बातचीत कर रहे कैग को स्पेक्ट्रम नीलामी में जीरो लॉस यानी कुछ भी नहीं नुकसान होने की बात पर गुस्सा आ गया। केंद्रीय कपिल सिब्बल की इस टिप्पणी पर राय का कहना था, ‘अगर कोई ऐसा मानता है कि इससे कोई नुकसान नहीं हुआ तो मुझे देश पर तरस आता है।’ सिब्बल ने कहा था कि 2जी स्पेक्ट्रम नीलामी से राजस्व को जीरो लॉस हुआ था। राय ने कहा कि सीबीआई 35 हजार करोड़ का नुकसान बता रही है। हमने 66,000 करोड़ से लेकर 1.76 लाख करोड़ के बीच नुकसान की बात की थी। हमारी ही एक रिपोर्ट में इस घाटे को 4.19 लाख करोड़ रुपये दर्शाया गया था। इतना होने के बावजूद अगर कोई शख्स [चाहे वह राजनीतिज्ञ हो या नौकरशाह] जीरो लॉस की बात करता है तो यह देश का दुर्भाग्य ही है।

राजनीति में शामिल होने से इन्कार

विनोद राय ने उन अफवाहों को सिरे से खारिज कर दिया कि रिटायरमेंट के बाद वह राजनीति करेंगे। उनका कहना है, ‘मैं एक गैर राजनीतिक व्यक्ति हूं। राजनीति में उतरने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। हां, वित्तीय क्षेत्र में मुझे कुछ अनुभव है, वहां कुछ काम कर सकता हूं। फिलहाल तो कुछ दिन आराम करूंगा।’

शशिकांत शर्मा होंगे नए कैग

नई दिल्ली। रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा को भारत का अगला नियंत्रक-महालेखापरीक्षक नियुक्त किया गया है। बिहार कैडर के 1976 वर्ष आइएएस अधिकारी शर्मा अवकाश ग्रहण कर रहे कैग विनोद राय का स्थान लेंगे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी गुरुवार को 62 वर्षीय शर्मा को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे।

वित्त मंत्रालय की ओर से मंगलवार को जारी बयान में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 148[1] के तहत राष्ट्रपति ने शशिकांत शर्मा आइएएस को भारत का नियंत्रक-महालेखापरीक्षक नियुक्त किया है। आम आदमी पार्टी [आप] ने शर्मा की नियुक्ति का विरोध किया है। पार्टी के संस्थापक सदस्य प्रशांत भूषण का कहना है कि सरकार एक अक्षम व्यक्ति को कैग के पद पर बैठाकर इस संवैधानिक पद को कमजोर करना चाहती है।

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