बोकारो। झामुमो के नेता एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को साफ कर दिया कि कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में गठबंधन करना हो तो कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने की पहल करे। सरकार का नेतृत्व बड़े दल के नाते झामुमो करेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में कोई भी दल अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है।
सरकारी बनी तो कांग्रेस के साथ झामुमो की बनेगी। इसलिए इसकी चिंता कांग्रेस करे। हेमंत झामुमो की केंद्रीय कार्यकारिणी के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि झामुमो झारखंड की जनता पर बेजां चुनाव थोपने के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन यदि विकल्प नहीं बचेगा तो कार्यकर्ता चुनाव में भी जाने को तैयार हैं। सभी कार्यकर्ताओं को कह दिया गया है कि वे चुनाव की तैयारी में लग जाएं।
उन्होंने बताया कि झामुमो केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सभी बिंदुओं पर विचार किया गया। केंद्रीय समिति के निर्णय के अनुरूप पार्टी आगे काम करेगी। राष्ट्रपति शासन लोकतांत्रिक व्यवस्था का विकल्प नहीं है। जहां तक नेतृत्व का सवाल है तो पहले सरकार बनाने की पहल हो तब सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। वैसे बड़ा दल झामुमो ही है। एक सवाल के जवाब में सोरेन ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस लेने का उन्हें कोई मलाल नहीं है। यह पार्टी का निर्णय था।
झामुमो किसी भी दल का मोहताज नहीं है। सरकार नहीं बनने की स्थिति में चौदह लोकसभा और 81 विधानसभा सीटों पर पार्टी अकेले लड़ेगी। इससे पूर्व झामुमो मुखिया शिबू सोरेन ने केंद्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक में अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि झामुमो की राजनीति सत्ता का मोह करना नहीं बल्कि जनता की समस्याओं के निदान के लिए संघर्ष करना है। पार्टी के सभी नेता इस बात परिचित हैं।
उन्होंने कहा कि सत्ता का मोह छोड़ें और जनता की चिंता करें। क्षेत्र में जाकर जनसमस्याओं के लिए संघर्ष करें। बताते हैं कि झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने कांग्रेस की मंशा भांप कर उस पर दबाव बनाने के लिए सरकार गठन का दांव चला है। झामुमो समझ गया है कि कांग्रेस की दिलचस्पी राज्य में सरकार गठन से ज्यादा लोकसभा चुनावों में मोर्चा से गठबंधन की है।
इसी के मद्देनजर हेमंत ने गेंद कांग्रेस के पाले में डालते हुए साफ कर दिया है कि यदि लोकसभा चुनाव कांग्रेस झामुमो से गठजोड़ कर लड़ना चाहती है तो उसे इसकी कीमत राज्य में उनके नेतृत्व में सरकार बनाकर अदा करनी होगी। हेमंत के इस रुख से अब कांग्रेस में राज्य में सरकार गठन पर मंथन के आसार बन रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस की असल दिक्कत उपाध्यक्ष राहुल गांधी का रुख है जो कि राज्य में गठबंधन सरकार बनाने के पक्ष में नहीं हैं।
लेकिन बदले सियासी परिदृश्य में राहुल गांधी का रुख क्या होगा। पार्टी विधायकों की निगाह इस पर केंद्रित हो गई हैं। जहां तक पार्टी विधायकों का सवाल है। एक बड़ा धड़ा सूबे में अर्से से सरकार गठन की पैरवी में जुटा है।