सरकार के निशाने पर हैं नक्सलियों के बड़े नेता

-naxalite-use-different-ways-of-crueltyनई दिल्ली। छत्तीसगढ़ हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नक्सलियों के खिलाफ अभियान की रणनीति बदलने का फैसला किया है। नक्सली क्षेत्रों में केंद्रीय बलों केकैंप लगाने की बजाय अब सुरक्षा एजेंसियों का जोर बड़े नक्सली नेताओं को निशाना बनाना होगा। वहीं, खुफिया एजेंसियों को हमले के सूत्रधार व पोलित ब्यूरो सदस्य कटकम सुदर्शन का एक पत्र हाथ लगा है। हमले के ठीक पहले कैडरों को भेजे पत्र में हताशा का भाव देखा जा सकता है।

गृह मंत्रालय के अनुसार नक्सली कैडर के मनोबल को बढ़ाने के लिए राज्य कांग्रेस के बड़े नेताओं को निशाना बनाया गया था। मंगलवार को छत्तीसगढ़ दौरे में केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह ने मुख्यमंत्री रमन सिंह के साथ नई रणनीति पर चर्चा की थी। रमन सिंह ने साफ कर दिया था कि घटना पर राजनीतिक बयानबाजी अलग मुद्दा है, लेकिन वह केंद्रीय गृह मंत्रालय की नई रणनीति का पूरा समर्थन करते हैं।

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एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, नई रणनीति के तहत पांच साल में नक्सली हिंसा काबू करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए अगले तीन साल में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में 27 नई बटालियन तैयार की जाएंगी। इस समय 86 बटालियन नक्सल विरोध अभियान में लगी हैं। सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ गृह मंत्रालय ने बड़े नक्सली नेताओं के बारे में खुफिया जानकारी जुटाने को प्राथमिकता देने का फैसला किया है। इसके लिए ह्यूमन के साथ-साथ टेक्नीकल इंटेलीजेंस पर भी जोर दिया जाएगा।

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मानव रहित विमान के संचालन का एक केंद्र भिलाई में खोला जाएगा। अभी हैदराबाद स्थित केंद्र से भेजे गए यूएवी से जंगल में छुपे नक्सलियों पर नजर रखी जाती है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, भिलाई केंद्र दिसंबर, 2013 तक शुरू हो जाएगा। इससे छत्तीसगढ़, ओडिशा व झारखंड के भी नक्सली क्षेत्रों पर नजर रखी जा सकेगी। वरिष्ठ अफसरों का मानना है कि नक्सलियों ने हताशा में नेताओं पर हमला किया है। उन्होंने सुदर्शन के पत्र का हवाला दिया, जिसमें सुरक्षाबलों के चौतरफा हमले व नक्सलियों के समर्पण का जिक्र है।

इधर, खबर आ रही है कि नक्सली देश की राजधानी दिल्ली सहित कई बड़े शहरों को निशाना बना सकते हैं। खुफिया सूचानाओं में चेतावनी दी गई है कि नक्सली आगामी महीनों में लक्ष्य करके प्रमुख लोगों को निशाना बनाने की फिराक में हैं। एजेंसियों की रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के दिनों में नक्सलियों ने अपना प्रभाव फिर बढ़ाने की शुरुआत की है।

खुफिया एजेंसियों का कहना है कि शनिवार को छत्तीसगढ़ में हुआ हमला नक्सलियों ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां पाने और अपना प्रभुत्व फिर से स्थापित करने के लिए किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकíषत करने और माओवादियों का मनोबल बढ़ाने के लिए आगामी दिनों में नक्सली शहरी क्षेत्रों में कमजोर लक्ष्यों पर निशाना साधने की कोशिश करेंगे। छत्तीसगढ़ के बस्तर, ओडिशा के मलकानगिरी, कोरापुट और झारखंड के लातेहार से नक्सलियों के सफाए के लिए लगातार दो-तीन साल तक अभियान चलाना होगा।

सुरक्षा एजेंसियों ने कहा है कि नक्सलियों के खिलाफ अभियान के लिए अर्धसैनिक बलों के कम से कम 27000 जवानों को तैनात करना होगा। वर्तमान में अर्धसैनिक बलों के 82 हजार जवान नक्सल प्रभावित इलाकों में तैनात हैं।

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