भोपाल। सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने छिंदवाड़ा जिले की पेंच परियोजना का विरोध करते हुए कहा कि इस प्रोजेक्ट के कारण आदिवासी समेत अन्य किसानों की जमीनें डूब क्षेत्र में आ रही हैं। सरकार इन किसानों की बात को गंभीरता से सुनने की बजाय झूठे दस्तावेज के आधार पर इस परियोजना को पूरा करने के प्रयास में जुटी है।
पाटकर के मुताबिक प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे आदिवासियों का अब अहिंसक आंदोलन से विश्वास उठ चुका है। उनमें यह भावना बलवती हो रही है कि उन्हें केवल नक्सली ही बचा सकते हैं। नक्सलियों के हस्तक्षेप से ही परियोजना को रोका जा सकता है। नर्मदा बचाओ आंदोलन की संयोजक मेधा पाटकर ने मध्य प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अडानी पावर प्लांट को पानी देने के लिए 10 हजार परिवारों की जमीन डूब में डाली जा रही है।
अडानी के प्रोजेक्ट के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ ने हाथ मिला लिया है। वहीं, डूब क्षेत्र के किसानों की आवाज नहीं सुनी जा रही है। पाटकर के मुताबिक राज्य सरकार ने 18 अक्टूबर को इस क्षेत्र में अडानी पावर प्लांट लगाने की मंजूरी बिना जल और कोल आवंटन के दे दी।