खाद्य सुरक्षा के लिए बुलाया जा सकता है विशेष सत्र

khaaghyeनई दिल्ली। संप्रग सरकार खाद्य सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण जैसे अहम विधेयक संसद में पारित कराने को विशेष सत्र बुलाने की सोच रही है। संभवत: 1 से 5 जुलाई के बीच यह विशेष सत्र बुलाया जा सकता है। मनरेगा के बूते लगातार दूसरी बार केंद्र में सरकार बनाने वाली कांग्रेस अगले आम चुनाव में इन दोनों विधेयकों को गेम चेंजर के रूप में देख रही है।

सरकार की यह तैयारी लोकसभा के मध्यावधि चुनाव के साफ संकेत दे रही है। जानकारी के अनुसार, विशेष सत्र बुलाने के मुद्दे पर अंतिम निर्णय पीएम के विदेश से लौटने के बाद होगा। ज्ञात हो, खाद्य सुरक्षा बिल को लेकर मनमोहन सिंह और सोनिया द्वारा प्रतिबद्धता जताने के साथ ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी कह चुके हैं कि सरकार इस कानून को बना कर रहेगी।

संसद के बजट सत्र के आखिरी दिनों में खाद्य सुरक्षा बिल पारित कराने के लिए सोनिया ने लोकसभा में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज से न केवल खुद बात की थी बल्कि यहां तक कहा था कि इसमें सरकार व विपक्ष के झगड़े की कोई बात नहीं है। खाद्य सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण बिल से लाखों लोगों को फायदा मिलेगा। बताया जाता है कि वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ और खाद्य मंत्री केवी थॉमस संसद का विशेष सत्र बुलाने के पक्ष में हैं।

चिदंबरम और थॉमस इस मुद्दे पर बैठक भी कर चुके हैं। विशेष सत्र पर मुख्य विपक्षी दल को भी एतराज नहीं है, क्योंकि भाजपा व दूसरे दल इन विधेयकों पर संसद में विस्तार से चर्चा की मांग कर चुके हैं। उम्मीद है कि कमलनाथ जल्द ही इस मुद्दे पर समर्थन के लिए सहयोगियों के अलावा विपक्षी नेताओं से भी भेंट कर सकते हैं। खाद्य सुरक्षा बिल सोनिया के दिमाग की उपज माना जाता है।

कांग्रेस हर हाल में आम चुनाव से पूर्व इसे कानूनी जामा पहनाना चाहती है। गत सप्ताह खुद सोनिया राजग-विपक्ष से इन बिलों को पारित कराने के लिए सरकार का साथ देने की अपील कर चुकी हैं। पीएम ने भी पिछले हफ्ते संकेत दिया था कि सरकार विधेयक जल्द पारित कराने की रणनीति बनाएगी। सरकार के दिमाग में विशेष सत्र बुलाने के पीछे मुख्य वजह उसका मानना है कि खाद्य सुरक्षा पर अध्यादेश लाना सही नहीं होगा। इस पर कानूनी अड़चनों की बात कई नेता पहले भी उठा चुके हैं। कानून मंत्रलय भी अध्यादेश लाने पर ऐतराज जता चुका है।

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