उत्‍तराखंड सरकार के पास राहत-बचाव के लिए बचे हैं सिर्फ 3 दिन

rescue editउत्तराखंड में अभी रेस्क्यू ऑपरेशन का काम पूरा भी नहीं हुआ है और पहाड़ पर भारी बारिश का खतरा मंडराने लगा है. अगर 4 दिन के अंदर फंसे हुए लोगों को बाहर नहीं निकाला गया तो मुसीबत बढ़ सकती है. मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि 24 जून से दुबारा पहाड़ों पर भारी बारिश होने वाली है. उधर, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा है कि उत्तराखंड में अब तक 207 लोगों की मौत हो चुकी और राहत एवं बचाव कार्य में 34 हेलीकॉप्‍टर लगाए गए हैं.

उत्तराखंड में कुदरत का कहर करीब से देखकर कई लोग अपने घर लौटने में कामयाब हुए हैं. केदारनाथ से बचकर लौटे बिहार के पूर्व मंत्री अश्विनी चौबे ने भी अपनी आपबीती सुनाई. अश्विनी चौबे के कई रिश्तेदार पानी में बह गए. उन्होंने आशंका जताई कि 15 से 20 हजार लोगों की जान इस आपदा में गई होगी.

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोरखरियाल निशंक ने भी मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया. उनका कहना है कि कुदरत ने ऐसा कहर बरपाया है जिसे देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

राहत और बचाव कार्य जारी
कुदरती आपदा से प्रभावित उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर राहत और बचाव कार्य जारी है. आईटीबीपी ने केदारनाथ में फंसे तमाम लोगों को बचाकर निकाल लिया है. आईटीबीपी के मुताबिक, ‘तकरीबन 250 लोगों को गौरीकुंड इलाके से एयरलिफ्ट किया गया है, जबकि गोविंदघाट- घंघारिया इलाके से 1500 लोग निकाले गए हैं. बद्रीनाथ के रास्ते में पड़ने वाले लामबगड़ इलाके से 1 हजार लोग बचाए गए हैं.’

गुप्तकाशी में बड़ी संख्या में फंसे लोगों को वहां से निकालकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है. सेना के हेलीकॉप्टरों से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. बचाए गए लोगों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं. सेना और एयरफोर्स के 45 हेलीकॉप्टरों और 10 हजार जवानों को राहत और बचाव कार्यों में तैनात किया गया है.

जान पर खेलकर बचा रहे हैं जान
उत्तराखंड के जिन इलाकों में हेलीकॉप्टर नहीं पहुंच सकते, वहां लोग जान पर खेलकर अपनी जान बचा रहे हैं. चमोली में सैकड़ों की तादाद में फंसे लोगों को काफी मशक्कत से निकाला गया. सामने पहाड़ी नाला गरज रहा था, आईटीबीपी के जवानों ने उन्हें निकालने के लिए रस्सियों का सहारा लिया. उफान मारते पानी के ऊपर से लोग रस्सियों पर लटक-लटक कर निकले. उन्हें बड़े-बड़े पत्थर और चट्टानों से भी होकर गुजरना पड़ा.

हेमकुंड में भी जबरदस्‍त रेस्क्यू ऑपरेशन हुआ. यहां पर यात्री कई दिनों से फंसे हुए थे. बचकर निकल जाने का कहीं रास्ता नहीं था. जैसे-तैसे रस्सियों का सहारा लेकर जवानों ने उन्हें सुरक्षित निकाला.

उत्तराखंड में अब तक 22 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित बचाया जा चुका है, जबकि करीब 50 हजार लोग जहां-तहां फंसे हुए हैं. अब तक हासिल जानकारी के मुताबिक 366 घर पूरी तरह तबाह हो गए हैं, जबकि 272 को आंशिक नुकसान हुआ है.

नदियों ने लिया विकराल रूप
उत्तराखंड में टिहरी-श्रीनगर मार्ग पर स्थित घनसाली में भागीरथी नदी में पानी अभी भी विकराल रूप धारण किए हुए है. घनसाली के घुत्तु क्षेत्र में अनाज के सरकारी गोदाम बह गए हैं, जिससे इलाके में खाद्यान्‍न संकट पैदा हो गया है. प्रशासन यहां पर बरसात रुकने और पानी का स्तर कम होने का इंतजार कर रहा है, ताकि राहत और बचाव शुरू किया जा सके.

पिथौरागढ़ के धारचुला और बागेश्वर इलाकों में भी बड़ी संख्या में पर्यटक और गांववाले फंसे हुए हैं. बागेश्वर के ऊपर सुंदरदुघा और पिंडारी में 54 लोगों के फंसे होने की खबर है. यहां पिंडर नदी उफान पर है, जिससे अल्मोड़ा, बागेश्वर और पिथौरागढ़ को जोड़ने वाले सारे रास्ते बंद हो गए हैं.

कोसी में फंसे है बिहार के तीर्थयात्री
उत्तराखंड में आए भीषण जल प्रलय में बिहार के कोसी इलाके के भी बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों के फंसे होने की खबर है. बीते 7 जून को लगभग 35 यात्रियों का एक ग्रुप केदारनाथ धाम की यात्रा पर निकला था. इन तीर्थयात्रियों से परिजनों का संपर्क बीते 15 जून से टूट चुका है. समाचारों में जल प्रलय की तबाही देखकर परिजन हताश और निराश हैं. घर की महिलाओं और बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल है.

परिजनों को ढूंढ़ें तो ढूंढ़ें कहां
उत्तराखंड में आई आपदा में दिल्ली के भी कई लोग फंसे हैं. पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार के पॉकेट-4 में रहने वाले सीताराम अग्रवाल परिवार के साथ 14 जून को केदरनाथ और बद्रीनाथ गए थे. अग्रवाल के भतीजे का कहना है कि उनके चाचा से 15 तारीख को बात हुई थी. उसके बाद उनसे और उनके परिवार से संपर्क नहीं हो पाया. मोबाइल नंबर नही मिल रहे हैं.

हरिद्वार स्‍टेशन पर बदइंतजामी
उत्तराखंड में तबाही के समंदर से बचकर वापस लौट रहे लोगों के लिए हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर किसी भी तरह की सुविधा और इंतजाम नहीं है. इसकी वजह से बाहर से आए लोगों में खासी नाराजगी है. लोगों के मुताबिक हरिद्वार से घर पहुंचाने के लिए रेल प्रशासन ने किसी भी तरह के कोई भी इंतजाम नहीं किए हैं. हालांकि रेल प्रशासन के दावे इससे उलट हैं.

अपनों को देख रो पड़े अपने
उत्तराखंड से तीर्थ यात्रियों का एक जत्था इंदौर पहुंचा. कुदरत की विनाश लीला से बचकर लौटे इन तीर्थयात्रियों के परिजनों ने खुशी का इजहार कर उनका स्वागत किया. कई तो भावुक हो गए और फूट-फूट कर रो पड़े.

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