अम्मी-अब्बू से मिलने की कीमत 50 हजार

28_06_2013-28uttarakhandदेहरादून। एक आपदा से किसी तरह बचकर लौटे घायल शहर के अस्पतालों में दूसरीआपदा का सामना करने को मजबूर हैं। सेना द्वारा केदारनाथ से बचाकर अस्पताल में भर्ती कराए गए एक बस परिचालक ने परिजनों से मिलने जाने की इच्छा जताई तो डॉक्टरों ने दोबारा आने पर 50 हजार रुपये देने की मांग की।

पढ़ें: ये भी मौत से बचा लाए जिंदगी

वहीं, दून अस्पताल पहुंचे घायल का डॉक्टरों ने उपचार करने से मना कर दिया तो परिजन दूसरे अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने घायल के परिजनों से तीन लाख रुपये की मांग कर दी।

पढ़ें: मुआवजे के लिए लोग गढ़ रहे हैं फर्जी कहानियां

क्लेमेनटाउन के भारूवाला निवासी अशरफ अली ने बताया कि केदारनाथ तक चलने वाली एक प्राइवेट बस में वह परिचालक है। प्रलय वाली शाम वह केदारनाथ में था। पानी का तेज बहाव उसे भी काफी दूर तक अपने साथ बहा ले गया था, लेकिन उसकी जान बच गई। कई दिन भूखे-प्यासे रहने के बाद सेना द्वारा उसे बचाकर लाया गया, उसके पैर में गंभीर चोटें आई थीं। सेना ने दून लाकर उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया।

उसके अनुसार केदारनाथ का भयानक मंजर देख दिल बैठा जा रहा था तो उसने डॉक्टरों से एक बार परिजनों से मिलकर आने की इच्छा जताई। बताया कि इस पर डॉक्टरों ने कहा कि अब उसका उपचार मुफ्त होगा, लेकिन वह परिजनों से मिलकर आएगा तो उसे इलाज की पूरी रकम 50 हजार रुपये चुकानी पड़ेगी। इसके बाद वह इलाज बीच में छोड़ घर चला गया और गुरुवार को उपचार कराने मां को साथ लेकर दून अस्पताल पहुंचा।

वहीं, चमोली के झिंझोरी गांव निवासी भगत सिंह ने बताया कि 16 जून को वह बड़े भाई की शादी का सामान लेने नारायणबगड़ बाजार गया था। अचानक आई जलप्रलय में बहकर वह एक बड़े पत्थर से टकरा गया, जिससे उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। परिजनों ने पहले तो वहीं उपचार कराने की कोशिश की, लेकिन हालत बिगड़ी तो वह उसे लेकर बुधवार को दून अस्पताल पहुंचे।

उनका कहना है कि यहां डॉक्टरों ने उसका उपचार करने से इन्कार कर, एक निजी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। बताया गया कि जब परिजन उसे लेकर वहां पहुंचे तो डॉक्टरों ने उपचार के नाम पर उससे तीन लाख रुपये की मांग की। परिजन इतनी राशि देने में असमर्थ होने के कारण दोबारा उसे लेकर दून अस्पताल आ गए। गुरुवार को जब स्वास्थ्य मंत्री दौर पर दून अस्पताल पहुंचे तो उन्होंने उनके सम्मुख पूरी कहानी बयां की। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री के कहने पर डॉक्टर उसका उपचार करने को राजी हुए।

error: Content is protected !!