भाजपा को कुर्सी की लत है, यह बड़ी भारी बीमारी है: नीतीश

02_07_2013-nitish_kumar120पटना, जागरण ब्यूरो। राजग से अलग होने के बाद सोमवार को पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा पर खूब बरसे, बोले- हम रैंबो नहीं कि कुछ करिश्मा कर दिखाएं। यह महारत तो उनको (भाजपा) है। पुराने सहयोगी रहे हैं पर अचानक न जाने किस मानसिकता से ग्रस्त हो गए हैं? उत्तराखंड आपदा पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। इस पर बयान देना स्तरहीन राजनीति का परिचायक है। यह आपदा कितनी संवेदना से जुड़ा है, यह समझा जा सकता है।’ उन्होंने बिहार भाजपा के नेताओं को भी नहीं बख्शा और कहा- ‘उनको (भाजपा नेता) कुर्सी की लत है। यह बड़ी भारी बीमारी है। उनके जमीन पर आने के दर्द को हम समझ सकते हैं। सुशील कुमार मोदी को तो छपास की बीमारी है। हम क्या कर सकते हैं?’

नीतीश, सोमवार को जनता दरबार के बाद यहां संवाददाताओं से बात कर रहे थे। उनसे सुशील मोदी समेत तमाम भाजपा नेताओं द्वारा सरकार व उन (मुख्यमंत्री) पर लगातार किए जा रहे जुबानी हमलों के बारे में पूछा गया था। नीतीश के अनुसार जब सबकुछ शांत होगा, तब मंत्रिमंडल विस्तार होगा। वैसे मेरे हर काम में सरप्राइज एलिमेंट होता है। मुख्यमंत्री ने भाजपा हाल में हुए धरना की चर्चा करते हुए कहा कि इसकी तस्वीर देखकर मेरा हंसते-हंसते बुरा हाल हो गया। नेता, धरने में कुर्सी पर बैठे हुए थे। उनको कुर्सी की लत लगी है। उनके मुताबिक ‘ये लोग (भाजपाई) मेरे मन की झिझक को खत्म कर रहे हैं। अच्छा है खूब बोलें। भाजपा नेताओं के जमीन पर आने का दर्द हम समझ सकते हैं। पर बोलने में राजनीति के स्तर को इतना नीचे नहीं ले जाना चाहिए। अब जब सरकार से अलग हुए तो बोल रहे हैं, पहले क्यों संज्ञान नहीं लिया? हम समझ सकते हैं कि कैसे लोग हमारे साथ थे? हमें धोखे में रखा हुआ था।’

मुख्यमंत्री से जब मंत्रिमंडल विस्तार के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमने अभी मंत्रिमंडल विस्तार की बात कहां की है? जब सब लोग शांत हो जाएंगे तब होगा विस्तार। वैसे मेरे हर काम में है सरप्राइज एलिमेंट। उपयुक्त अवसर आने पर हो जाएगा मंत्रिमंडल विस्तार। वैसे भी यह अवसर चुनने का मुझे अधिकार है। सरकार का यह रास्ता तो हमने तय किया है। लोगों ने व्यक्ति को सामने रखकर जनादेश दिया। मेरा दायित्व है कि जनता ने जो जनादेश दिया है उस पर काम करते रहें।

उत्तराखंड मसले पर सरकार के क्रियाकलापों को कोसने वाले पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के वक्तव्य पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनको कुछ बोलना है, प्रतिदिन बोलना है और छपने के लिए बोलना है। ऐसी छपास की बीमारी है तो क्या कह सकते हैं। हमें ऐसी बीमारी नहीं है। उत्तराखंड सरकार के साथ पूरे समन्वय के साथ हमारी सरकार काम कर रही है। वहां के मुख्यमंत्री के संपर्क में हैं हम। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरे जैसा व्यक्ति वैसे शब्दों का प्रयोग करना नहीं चाहेगा जो वे (भाजपा के लोग) कर रहे हैं। मैं तो चाहता हूं कि वे रोज छपें। एक ही अखबार में दस जगह छपें। पढ़ने वाला पढ़ना छोड़ दे और फिर लोगों को वह अपने छपने की बात फोन करके बताएं।

बगहा गोलीकांड के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बात पूरी तरह से स्पष्ट है कि पुलिस ने जिस जगह पर गोली चलाई वहां वह विधि-व्यवस्था नियंत्रण के लिए नहीं गई थी बल्कि अनुसंधान के सिलसिले में वहां पहुंची थी। थारु समाज के लोग शांत होते हैं पर वे लोग इतने उत्तेजित कैसे हो गए यह अनुसंधान का विषय है। न्यायिक जांच के क्रम में ये बातें पूरी तौर से सामने आएंगी। बात फिर भाजपा के फटाफट हो रहे धरने व अन्य कार्यक्रम की आ गई तो उन्होंने कहा कि जदयू कोई काम प्रतिक्रिया में नहीं करती। प्रतिक्रियावादी ही इस तरह से आनन-फानन में काम करते हैं। सात जुलाई को राज्य कार्यकारिणी, जिलाध्यक्ष, विधायक व सांसदों की बैठक में आगे के कार्यक्रमों पर विचार होगा। हम कोई काम प्रतिक्रिया में नहीं करते, बाकी लोगों को थोड़ी जल्दी है। नारे लगा रहे भाजपा के लोगों को क्या इसी काम के लिए मैंडेट मिला था? एक साल पहले हमने उन लोगों को बता दिया था कि उनके कौन से कदम पर हम लोगों का क्या कदम होगा।

विधायक विकास निधि को समाप्त किए जाने को सुशील कुमार मोदी व नंदकिशोर यादव के वक्तव्यों पर उन्होंने कहा कि जिस समय यह आवाज उठी थी उस समय हमारे दाये-बायें नंदकिशोर यादव व सुशील मोदी बैठे हुए थे। हमने उसी समय कहा था कि इस पर विचार करेंगे। ढाई साल के बाद अब होश हो रहा है उन्हें। हम समझ सकते हैं कि कैसे लोग थे हमारे साथ? हमें धोखे में रखे हुए थे लोग। साथ रहने पर न जाने क्या-क्या करते? वह तो सरकार का फैसला था।

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