मुंबई। थोड़ा संभलने के बाद फिर से रुपये पर गिरावट का दबाव बन गया है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 64.43 तक लुढ़का है। मंगलवार को रुपया 64.11 तक टूटा था। आरबीआई के 8000 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदने के फैसले से रुपये की गिरावट पर ब्रेक लगा था। लेकिन, दोपहर के बाद फिर से रुपया लुढ़कता दिख रहा है।
बाजार धड़ाम, सेंसेक्स 18000 के नीचे
रुपये में रिकॉर्ड कमजोरी आने की वजह से बाजार करीब 1.5 फीसदी टूटे हैं। दोपहर 2:30 बजे, सेंसेक्स 242 अंक टूटकर 18004 और निफ्टी 73 अंक टूटकर 5328 के स्तर पर हैं। मिडकैप शेयर 2 फीसदी लुढ़के हैं।
बाजार में गिरावट से रुपये पर दबाव बढ़ा
जियोजित कॉमट्रेड के चीफ करेंसी स्ट्रैटेजिस्ट हेमल दोशी का कहना है कि शेयर बाजारों में आई गिरावट से रुपये पर दबाव बढ़ा है। वहीं आरबीआई की तरफ से रुपये की कमजोरी को थामने के लिए नकदी की किल्लत कम करने का कदम छोटी अवधि का है, जिससे रुपये पर कोई ज्यादा असर नहीं होगा।
डॉलर के मुकाबले रुपया 65 तक गिरेगा
हेमल दोशी का मानना है कि अगर फेड की तरफ से क्यूई3 में कटौती का फैसला लिया गया तो रुपये पर ज्यादा दबाव देखने को मिलेगा। लिहाजा डॉलर के मुकाबले रुपये के 65 तक जाने के आसार हैं।
करंट अकाउंट घाटा घटने पर संभलेगा रुपया
कमजोर रुपये से शेयर बाजार ही नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी बड़ा धक्का लगा है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर और बुकिंग्स इंडिया के डायरेक्टर, सुबीर गोकर्ण का कहना है कि रुपये में ऐसी कमजोरी 2011-2012 में भी दिखाई दी थी। घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही वजहों से रुपया टूटा है। लेकिन, रुपये में कमजोरी की सबसे बड़ी वजह देश का भारी करंट अकाउंट घाटा है। सुबीर गोकर्ण के मुताबिक जब तक करंट अकाउंट घाटा काबू में नहीं आता है, तब तक आरबीआई द्वारा उठाए गए कदमों का असर ज्यादा देर तक नहीं टिकेगा। रुपये को सहारा देने के लिए आरबीआई ने विदेश डॉलर ले जाने के नियम कड़े किए हैं। साथ ही, सोने के इंपोर्ट पर और सख्ती भी की है।