ममता से ‘सवाल पूछने पर’ किसान गिरफ्तार

पश्चिम बंगाल में एक ग्रामीण को मुख्यमंत्री की सार्वजनिक सभा में बाधा पहुंचाने और पुलिस को ड्यूटी करने से रोकने के आरोप में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

गरीब किसान शिलादित्य चौधरी को शुक्रवार रात गिरफ्तार किया गया.

बताया जाता है कि चौधरी का कसूर बस इतना था कि उन्होंने बुधवार को माओवादियों के गढ़ रहे बेलपहाड़ी इलाके में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सार्वजनिक सभा में उनसे सवाल पूछने की हिम्मत कर दी.

रैली में मुख्यमंत्री का भाषण चल रहा था कि चौधरी ने बीच में ही उठ कर पूछ लिया, “आपने गरीब किसानों के लिए क्या किया है? सिर्फ खोखले वादे नहीं चलेंगे.”

माओवादी को ‘पकड़ा’

चौधरी के सवाल पर मुख्यमंत्री ने उन्हें तुरंत माओवादी करार दे दिया और पुलिस से कहा गया कि वो चौधरी को ले जाए.

इसके बाद बनर्जी का भाषण जारी रहा और उन्होंने कहा, “वो माओवादी था. मैं उन्हें अच्छी तरह से जानती हूं. देखा, कैसे मैंने उसे रंगे हाथ पकड़ा.”

लंबी पूछताछ के बाद पुलिस को चौधरी का माओवादियों से कोई संपर्क नहीं दिखाई पड़ा और उन्होंने उनको छोड़ दिया. उन्हें औपचारिक तौर पर गिरफ्तार भी नहीं किया गया.

लेकिन चौधरी को शुक्रवार रात फिर पुलिस ने उनके घर से उठा लिया. इसके बाद शनिवार को झारग्राम की अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

सवालों से कतरातीं ममता

ये पहला मौका नहीं है जब ममता बनर्जी से ऐसे सवाल पूछे गए हैं जिन पर वो नाराज हो जाती हैं.

हाल में राष्ट्रीय टीवी चैनल पर प्रसारित हो रहे एक इंटरव्यू को वो उस वक्त बीच में ही छोड़ कर चली गईं जब जादवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने उनसे राज्य के हालात और खास कर कानून और व्यवस्था की स्थिति पर सवाल पूछे.

बनर्जी ने इन छात्रों को भी माओवादी बताया और पुलिस ने सवाल करने वाले छात्रों की पृष्ठभूमि के बारे में जांच पड़ताल शुरू कर दी.

इससे पहले एक प्रोफेसर को ममता का एक कार्टून ईमेल करने के लिए गिरफ्तार किया गया.

इसके अलावा राज्य सचिवालय और खास कर मुख्यमंत्री के दफ्तर के आसपास पत्रकारों के आने जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और मीडिया को वहां आने की तभी अनुमति दी जाती है जब मुख्यमंत्री को संदेश देना चाहती हैं.

 

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