अजमेर के पत्रकारों-साहित्यकारों की लेखन विधाएं

भाग चौबीस
श्री विजय कुमार शर्मा
पत्रकारिता के क्षेत्र में करीब 36 साल से सक्रिय श्री विजय कुमार शर्मा अजमेर में कदाचित पहले पत्रकार हैं, जो तब इंटरनेट का इस्तेमाल किया करते थे, जब स्थानीय पत्रकार इस बारे में कुछ नहीं जानते थे। सोशल मीडिया नेटवर्किंग पर न्यूज पोर्टल व यू ट्यूब चैनल के क्षेत्र में भी वे सर्वाधिक सक्रिय हैं। पत्रकारिता के केरियर में उन्होंने देश में जितना भ्रमण किया है, उसे देखते हुए उन्हें अगर यायावर पत्रकार कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
वर्ष 1984 में हायर सेकंडरी परीक्षा पास करने के तुरंत बाद राजस्थान में पत्रकारिता की स्कूलिंग में अव्व्ल दैनिक न्याय से पत्रकारिता की शुरुआत की। उनका यायावर जीवन 1992 में आरम्भ हुआ, जब पारिवारिक कारणवश दैनिक न्याय के मालिक स्वर्गीय बाबा श्री विश्वदेव शर्मा ने अहमदाबाद से गुजरात वैभव समाचार पत्र आरम्भ किया। गुजरात के पहले हिन्दी दैनिक माने जाने वाले गुजरात वैभव के समाचार सम्पादक के रूप में उन्होने करीब दो वर्ष अपनी सेवाएं दीं। वहीं उनके तत्कालीन मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल से नजदीकी सबंध बने। इसी प्रकार प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी से उनकी मुलाकात भाजपा के खानपुर स्थित गुजरात प्रदेश कार्यालय में हुई, जब श्री मोदी खानपुर कार्यालय के ही एक कमरे में रहते थे। गुजरात का पानी उन्हें सूट नहीं किया और वे वापस राजस्थान आ गये। 1995 में दक्षिण भारत के पहले हिन्दी दैनिक समाचार-पत्र चमकता सितारा के सम्पादन के लिए वे चेन्नई चले गये। वहां भी राजनीतिक पहुंच बनाई और जयललिता तथा करुणानिधि से सम्बन्ध कायम किए। स्वयं श्री शर्मा ने जानकारी दी थी कि जयललिता के शासनकाल में उनके बारे में यह बात चर्चित थी कि जयललिता की कोई भी अंदरूनी जानकारी अथवा शासन-प्रशासन की किसी भी खबर के लिए विश्वसनीय जानकारी चाहिए तो उनसे सम्पर्क किया जाए।
सूफियाना मिजाज के चलते दक्षिण भारत से भी उनका जल्द ही मोह भंग हो गया और 1997 में मध्यप्रदेश आ गये। वहां कुछ समय दैनिक जागरण के रीवा संस्करण में प्रभारी सम्पादक रहे और उसके बाद जबलपुर में दैनिक स्वदेश के कार्यकारी सम्पादक रहे। उन्होंने बताया कि भोपाल में एक क्रिकेट मेच की कवरेज करने के दौरान बीना के तत्कालीन विधायक श्री सुनील जैन और तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह के माध्यम से दैनिक भास्कर के मालिक श्री सुधीर अग्रवाल से परिचय हुआ और उन्होंने दैनिक भास्कर के राजस्थान संस्करण में जोब ऑफर किया। दैनिक भास्कर के जयपुर संसकरण में मूर्धन्य पत्रकार श्री कमलेश्वर जी के सान्निध्य में श्री रविन्द्र शाह और श्री अनिल लोढ़ा के साथ फ्रंट पेज डेस्क संभाली। नवीनतम टैक्नोलॉजी में रुझान और बेहतर कार्यक्षमता देखते हुए उन्हें दैनिक भास्कर के बीकानेर, गंगानगर और जोधपुर संस्करण में सेंट्रल डेस्क इंचार्ज बनाया गया।
1998 के अंत में पिताश्री का देहावसान होने के कारण वे पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन करने वापस अजमेर आ गये और दैनिक नवज्योति में उन्हें अंचल डेस्क का प्रभारी बनाया गया। जब दैनिक नवज्योति में डिजिटल क्रांति आई और प्रत्येक पत्रकार की कम्प्यूटर ज्ञान आवश्यक कर दिया गया तो उन्होने सभी को कम्प्यूटर पर हिन्दी में कार्य सिखाने का बीड़ा उठाया और सफलता भी हासिल की। पूर्व राज्यसभा सांसद श्री औंकार सिंह लखावत, तत्कालीन शिक्षा उपनिदेशक श्रीमती ललिता गोयल और उनके पति जिला शिक्षा अधिकारी रहे श्री कृष्ण मुरारी गोयल, डायबिटीज विशेषग्य डॉ. रजनीश सक्सेना और शहर के अनेक प्रतिष्ठित व्यक्तियों को घर जाकर उन्होने कम्प्यूटर सिखाया। वर्ष 2000 में दूरसंचार विभाग की कम्पनी संचारनेट ने जब शहर में पहले 25 इंटरनेट कनेक्शन दिए, तब उनमें से एक उनका भी था। वर्ष 2000 में ही स्थापित अजयमेरु प्रेस क्लब के संस्थापक सदस्यों में से एक सक्रिय सदस्य विजय कुमार शर्मा भी थे।
वर्ष 2005 के अंत में चेन्नई के हिन्दी समाचार पत्र दक्षिण भारत ने उन्हें अपने यहां बुलाया और ये फिर एक बार दक्षिण भारत चले गये। वर्ष 2011 में माता का स्वास्थ्य खराब होने पर वे वापस अजमेर आ गये और अपनी पत्रकारिता को सरे राह टीवी चैनल में क्राइम रिपोर्टर के रूप में आगे बढ़ाया। इसी साल में उन्होने डिजिटल मीडिया के साथ कदम से कदम बढ़ाते हुए वेब पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा और www.indiannewstv.in वेब चेनल की शुरुआत की जो आज 166 देशों में विजिट किया जाता है। साथ ही सोशल मीडिया मार्केटिंग और कंटेंट राइटिंग भी करते हैं। गूगल प्ले स्टोर पर इनके एप्प indiannewstv ने बड़े-बड़े नेशनल और इंटरनेशनल न्यूज एप्स को पीछे छोड़ते हुए पहला स्थान प्राप्त किया है और प्ले स्टोर पर 5 स्टार रेंकिंग पाने वाला एकमात्र एप्प है।
इसे उनकी सबसे बड़ी कमी कहा जाए या खूबी, यायावर प्रकृति के श्री विजय कुमार शर्मा कभी एक स्थान पर टिक कर नहीं रहे। जब भी इनसे सम्पर्क किया जाता है, तो वे एक नये स्थान पर होते हैं। फिलहाल वे दिल्ली में हैं। हां, एक खूबी उनमे यह है कि अपने व्यवहार कुशलता के कारण जहां जाते हैं, अपने दोस्तों की संख्या में इजाफा ही करते हैं। 35 साल से ज्यादा के पत्रकारिता जीवन में उन्होने अब तक एक बार भी अधीस्वीकरण, भूमि या अन्य किसी भी सरकारी सुविधा या सम्मान के लिए आवेदन नहीं किया। उनका कहना है कि मेरा सबसे बड़ा सम्मान 166 देशों में फैले मेरे लाखों विजिटर्स और उनकी प्रतिक्रियाएं हैं।

-तेजवानी गिरधर
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