देवी-देवताओं की जय क्यों बोलते हैं?

हम देवी-देवताओं, साधु-महात्माओं की जय बोलते हैं। भारत माता की भी जय भी बोलते हैं। विशिष्ट दिवंगत हस्तियों की भी जय बोलने का चलन है। आशीर्वाद के रूप में भी इस शब्द का उपयोग किया जाता है। क्या आपने कभी विचार किया है कि जय बोलने का अर्थ क्या है?
वस्तुत: जय शब्द का अर्थ होता है जीत। स्पष्ट रूप से जीत से ही इस शब्द का आशय है। प्रकृति में सदा सकारात्मक व नकारात्मक शक्तियों के बीच संघर्ष जारी रहता है। यही उसका स्वभाव है। हमारी इच्छा ये होती है कि सकारात्मक शक्तियों की ही जीत हो। उसी में हमारी भी भलाई होती है। जब हम देवी-देवताओं की जय बोलते हैं तो इसका अर्थ ये है कि उनकी सदा जीत हो। जीत किससे? स्वभाविक रूप से दानवों से। आसुरी शक्तियों से। हालांकि हम जय बोलने वालों को ये पता नहीं होता कि हम ऐसा क्यों बोल रहे हैं, हम तो उनकी महानता के आगे नतमस्तक होने का भाव रखते हैं, लेकिन वास्तविक भाव ये होता है कि देवी-देवताओं की सत्ता सदैव कायम रहे। सकारात्मक शक्तियों की जीत हो। इसमें तनिक याचना का भी भाव सम्मिलित होता है।
ऐसा नहीं है कि हमारी दुआ से, याचना से, कामना से उनकी जीत होनी है, शब्दों से प्रतीत भर ऐसा होता है, बल्कि आशय भिन्न है। हमारा यकीन है कि उनकी तो सदा जीत ही है। एक तरह से यह आदरपूर्वक, प्रशंसा सूचक शब्द है। उनकी जय का उद्घोष मात्र है। हम जय के नारे के माध्यम से उनकी महानता का बखान कर रहे होते हैं।
इसी प्रकार भारत माता की जय के मायने हैं कि विश्व में उसकी विजय पताका सदा फहराती रहे। इसी तरह विशिष्ट व्यक्तियों की जय के मायने हैं कि उनकी कीर्ति सदा कायम रहे।
जहां तक किसी के आशीर्वाद के रूप में इस शब्द का प्रयोग करने की बात है तो उसका अर्थ ये है कि हमारे अभिवादन के प्रत्युत्तर में आशीर्वाद देने वाला हमारी जीत होने का वरदान दे रहा होता है। जीत की कामना कर रहा होता है।
जय हो, यह एक जुमला भी है। कोई भी जब कुछ अच्छा कार्य करता है या सफलता हासिल करता है तो भी हम जय हो कह कर उसका अभिनंदन व उत्साहवद्र्धन करते हैं। किसी ने कोई अच्छी बात कही हो तो भी प्रत्युत्तर में जय हो कह कर उसका समर्थन करते हैं।
वाकई बहुत कीमती शब्द है ये। जय हो।

-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com

error: Content is protected !!