आदमी झूठ बोल ही नहीं सकता, बोलेगा तो पकडा जाएगा

प्रकृति ने आदमी को बहुत चतुर बनाया है। वह बडी चतुराई से झूठ बोलता है। सच तो यह है कि हर जगह झूठ का ही बोलबाला है। उस झूठ पर ही यह दुनिया चल रही है। मगर हकीकत यह है कि आदमी झूठ बोल ही नहीं सकता। बोलेगा तो पकडा जाएगा। जैसे ही झूठ बोलता है, उसकी धडकन डगमगा जाती है। ब्लड प्रेषर विचलित हो जाता है। जुबान लडखडा सकती है। लेकिन फिर भी दिक्कत ये है कि झूठ बोलने पर पकडा नहीं जा पाता, क्योंकि हमें झूठ पकडना नहीं आता। और इसीलिए विज्ञान ने एक ऐसा यंत्र बनाया है, जो यह पकड लेता है कि आदमी झूठ बोल रहा है या सच। उस यंत्र का नाम है लाई डिटेक्टर। लाई डिटेक्टर मशीन व्यक्ति की शारीरिक प्रतिक्रियाओं को मापती है, जो झूठ बोलते समय स्वाभाविक रूप से बदल सकती हैं। झूठ बोलते समय व्यक्ति का दिल तेजी से धड़क सकता है। तनाव में आने पर रक्तचाप बढ़ सकता है। झूठ बोलने पर सांस लेने की गति बदल सकती है। शरीर की त्वचा से निकलने वाला पसीना इलेक्ट्रिक सिग्नल को प्रभावित करता है।
लाई डिटेक्टर टेस्ट इस प्रकार किया जाता है। व्यक्ति के शरीर से विभिन्न सेंसर जोड़े जाते हैं। पहले सामान्य सवाल पूछे जाते हैं। जैसे आपका नाम क्या है? आपके पिताजी का नाम क्या है? ताकि बेसलाइन डेटा मिल सके। फिर ऐसे सवाल पूछे जाते है, जिनका जवाब झूठ या सच हो सकता है। मशीन व्यक्ति की प्रतिक्रियाओं को रिकॉर्ड करती है और यह देखा जाता है कि किसी विशेष सवाल पर असामान्य बदलाव आया या नहीं। हालांकि यह सही है कि लाई डिटेक्टर पूरी तरह से भरोसेमंद नहीं होता। कई लोग घबराहट की वजह से भी असामान्य प्रतिक्रियाएं दे सकते हैं, जिससे गलत नतीजे आ सकते हैं। साथ ही कुछ प्रशिक्षित लोग या अपराधी इसे चकमा भी दे सकते हैं। वस्तुतः लाई डिटेक्टर का उपयोग पुलिस इन्वेस्टिगेशन में किया जाता है। अपराध की जांच में संदिग्ध से पूछताछ करने के लिए।
कुछ एजेंसियां इसे भर्ती प्रक्रिया में इस्तेमाल करती हैं। हालांकि अदालतों में लाई डिटेक्टर टेस्ट के नतीजों को आमतौर पर पुख्ता सबूत नहीं माना जाता।

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