सेवा रिकॉर्ड समायोजन हेतु नहीं भेजने पर अनुदानित संस्था को लताड़

Rajasthan High Court Jaipur Bench thumbजयपुर, अनुदानित कर्मचारी के समायोजन में बाधा डालने पर प्रबन्ध समिति को लताड़ लगाते हुये व्यवस्था दी है कि कर्मचारी को अनुचित रूप से राजकीय सेवा में समायोजन में बाधा डालना प्रशंसनीय नहीं है तथा संस्था को निर्देश दिया कि वह कर्मचारी का समायोजन हेतु विकल्प-प्रपत्र तथा सेवाभिलेख एक माह के अन्दर निदेशक, कॉलेज शिक्षा को प्रेषित करे तथा राज्य सरकार कर्मचारी को तीन माह के अन्दर समायोजित हेतु कार्यवाही करे।  उल्लेखनीय है कि प्रार्थी रामसिंह धोनी प्रबन्ध समिति, जी. पी. पोद्यार कॉलेज, नवलगढ़ में चतुर्थ श्रैणी कर्मचारी के पद पर दिनांक 01.10.1984 को नियुक्त हुआ तथा इसी पद पर दिनांक 06.04.1986 को स्थाई किया गया। प्रार्थी ने राजकीय सेवा में समायोजन हेतु अपना विकल्प पत्रा संस्था को प्रेषित किया परन्तु संस्था ने विकल्प पत्रा प्रेषित करने से इनकार कर दिया तो प्रार्थी ने विकल्प पत्रा की अग्रिम प्रति कॉलेज शिक्षा निदेशक को प्रेषित कर दी। कॉलेज शिक्षा निदेशक द्वारा प्रार्थी का समायोजन नहीं करने पर प्रार्थी ने न्याय प्राप्ति हेतु नोटिस अपने अधिवक्ता डी. पी. शर्मा के माध्यम से दिया तथा न्याय नहीं मिलने पर रिट याचिका प्रस्तुत कर निवेदन किया कि उसका समायोजन अनुचित रूप से रोका गया। राज्य सरकार की तरफ से जवाब में यह व्यक्त किया गया कि प्रार्थी का समायोजन इसलिये नहीं किया गया कि संस्था के द्वारा बार-बार सूचित करने पर भी सेवा रिकॉर्ड नहीं भिजवाया गया तथा संस्था की तरफ से जवाब दिया गया कि प्रार्थी का स्थानान्तरण उसकी इच्छा पर दिनांक 01.05.2010 को अन्य गैर अनुदानित संस्था में कर दिया था ऐसी स्थिति में नियम 2010 के लागू होने के दिन वह अनुदानित पद पर नहीं था। प्रार्थी के अधिवक्ता डी. पी. शर्मा का तर्क था कि प्रार्थी ने कभी भी सेवा के स्थानान्तरण हेतु आवेदन नहीं किया तथा संस्था ने उसे राजकीय सेवा में समायोजित होने से रोकने हेतु मिथ्या स्थानान्तरण आदेश प्रस्तुत किया है तथा प्रार्थी ने कभी भी कथित गैर अनुदानित संस्था में कार्यग्रहण नहीं किया तथा संस्था ने मार्च-2011 तक राज्य सरकार से अनुदान हेतु उसके वेतन का अनुदान मांगा है और न्यायालय ने व्यवस्था दी कि कर्मचारी अनुदानित पद पर निर्विवाद रूप से नियुक्ति तिथि से लेकर दिनांक 30.04.2010 तक रहा तथा संस्था के द्वारा नियम 2010 के प्रभाव में आने के कुछ माह पूर्व अन्य संस्था में स्थानान्तरण करने के आधार पर कर्मचारी का क्लेम व्यर्थ नहीं किया जा सकता तथा संस्था का यह कृत्य भी संदेहास्पद होता है क्योंकि संस्था ने मार्च-2011 तक प्रार्थी के पद की अनुदान सहायता राज्य सरकार से क्लेम की है। इस कारण से संस्था का कृत्य अवैधानिक तथा मनमाना है। संस्था को निर्देश दिया कि प्रार्थी को अनुदानित पद पर मानते हुये एक माह में प्रार्थी का स पूर्ण सेवा रिकार्ड मय विकल्प पत्रा सहित राज्य सरकार को भेजे तथा राज्य सरकार तीन माह में नियुक्ति के संबंध में आवश्यक आदेश पारित करे।

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