शाहपुरा: विश्व विरासत दिवस पर संगोष्ठि का आयोजन

शाहपुरा / बीता हुआ कल यूं तो वापस नहीं आता लेकिन अतीत के पन्नों को हमारी विरासत के तौर पर कहीं पुस्तकों तो कहीं इमारतों के रुप में संजो कर रखा गया है। हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए निशानी के तौर पर तमाम तरह के ऐतिहासिक भवनों का निर्माण कराया, जिनसे हम उन्हें आने वाले समय में याद रख सकें.। लेकिन वक्त की मार के आगे कई बार उनकी यादों को बहुत नुकसान हुआ। किताबों, इमारतों और अन्य किसी रुप में सहेज कर रखी गई यादों को पहले हमने भी नजरअंदाज कर दिया जिसका परिणाम यह हुआ कि हमारी अनमोल विरासत हमसे दूर होती गई। अब भी समय है कि इस प्रकार की विरासतों का संरक्षण किया जाए तथा इसके प्रति शासन स्तर पर इस प्रकार की व्यवस्था हो ताकि जनता में जागरूकता भी पैदा हो सके।
विश्व विरासत दिवस समारोह को संबोधित करते हुए संचिना अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक
विश्व विरासत दिवस समारोह को संबोधित करते हुए संचिना अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक

शुक्रवार को विश्व विरासत दिवस के मौके पर इस प्रकार के विचार संचिना कला संस्थान की बैठक में वक्ताओं ने प्रस्तुत किये। शाहपुरा के ऐतिहासिक स्थलों के सरंक्षण व पूर्वजों के बनाये भवनों की विरासत को संजोने के लिए संचिना ने एक कार्ययोजना तैयार कर राज्य सरकार को भेजने का निर्णय लिया है। शाहपुरा के ऐतिहासिक महल, यहां की बावडिय़ा, शिकारगाह, बांधों, पिवणिया तालाब के मध्य में स्थित बगरू, प्राचीन हवेलियों, परकोटा व पांचों दरवाजे, तोपखाना, धनोप व धानेश्वर तीर्थ स्थलों आदि भवनों की वर्तमान स्थिति पर विचार विमर्श किया गया।

कहानीकार तेजपाल उपाध्याय ने इस मौके पर कहा कि आज हमारी भाषा, संस्कृति एवं विरासत के साथ जो खिलवाड हो रहा है उसे बचाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज संगीत वाद्यों, लोक गीतों और यहां तक खाने-पीने की संस्कृति का संरक्षण करना भी आवश्यक हो गया है। संचिना अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक ने कहा कि मूर्त विरासत के संरक्षण के प्रति अनेक मिशन बने हैं और बन रहे है, लेकिन अमूर्त विरासत जो हमारी सांझी संस्कृति की अमूल्य धरोहर है को बचाने के लिए जनजागरण की आवश्यकता है। गीतकार सत्येंद्र मंडेला ने कहा कि विरासत की परम्परा चक्र के रूप में अगली पीढी को मिलती ही है। बस हमें अच्छा करते रहना चाहिए।
गोपाल पंचोली ने कहा कि विरासत को संजोये रखना हम सबका दायित्व है। हमने अपनी भूल को पहचान लिया और अपनी विरासत को संभालने की दिशा में कार्य करना शुरु कर दिया पर विरासत को संभालकर रखना इतना आसान नहीं है। हम एक तरफ तो इन पुराने इमारतों को बचाने की बात करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ हम उन्हीं इमारतों के ऊपर अपने नाम लिखकर उन्हें गंदा भी करते हैं. अपने पूर्वजों की दी हुई अनमोल वस्तु को संजो कर रखने की बजाय उसे खराब कर देते हैं। इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि आम लोगों को इस कार्य के लिए जागरूक किया जाए।
-पर्यटन को बढ़ावा मिलने से रोजगार के नए द्वार खुल सकते हैं-–जनर्लिस्ट एसोसियेशन आफ राजस्थान के जिला अध्यक्ष मूलचंद पेसवानी ने कहा कि पुरातत्व विभाग की टीम क्षेत्र की सभी ऐतिहासिक इमारतों की सुंदरता को बढ़ाकर एक अच्छा पर्यटक स्थल विकसित किया जाए, ताकि पर्यटन को बढ़ावा मिलने से रोजगार के नए द्वार खुल सकें। स्थानीय प्रशासन, नगर पालिका व पुरातत्व विभाग लगातार कोशिश करे तो शाहपुरा को एक अच्छे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। पर्यटक केंद्र के रूप में विकसित किए जाने से दर्शकों की संख्या बढऩे से जहां एक ओर पर्यटन विभाग व प्रशासन अपनी आमदनी कर सकता है, वहीं दूसरी तरफ लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढऩे की भी पूरी संभावना रहेगी।
-समय के साथ धुंधली हो रही है यहां की तस्वीर——क्रांतिकारियों की ऐतिहासिक नगरी के रूप में पहचाना जाने वाला शाहपुरा अपनी ऐतिहासिक इमारतों के कारण शुरु से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। लेकिन समय के साथ यहां की तस्वीर धुंधली होने से पर्यटकों का रुझान कुछ कम होने लगा है।
जीर्ण-शीर्ण हो रहे विरासत को संरक्षित करने की जरूरत––शाहपुरा एक धार्मिक पृष्ठभूमि का शहर है। समय-समय पर यहां अनेक धार्मिक अनुष्ठान होते है। लोक-समागम की दृष्टि से भी यह एक अदभूत शहर है लेकिन, अधिकतर लोग न तो शाहपुरा की विरासतों से परिचित हैं, न उनके उद्धार की आवश्यकता से वाकिफ। यहां की पुरातात्विक या ऐतिहासिक विरासतों में से केवल बारहठ हवेली को छोडक़र अन्य किसी का कोई प्रामाणिक सूचीकरण नहीं हुआ है। ऐसी अव्यवस्था के आलम में हमें शाहपुरा में नष्ट हो रही उन विरासतों को चिह्न्ति करना चाहिए। जिनके संरक्षण की तुरंत आवश्यकता यदि ऐसा नहीं किया गया तो ये विरासतें मिट जायेंगी।
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