पूरा दिन खुला मंच पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के नाम रहा

IMG_5631IMG_5788जयपुर। दस दिवसीय पिंकसिटी आर्ट, कल्चर, लिटरेचर फेस्टिवल एंड बुक फेयर के सातवें दिन गुरुवार को पूरा दिन खुला मंच पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के नाम रहा।
कार्यक्रम का आगाज समूह, युगल व एकल प्रस्तुतियों से हुआ। इसमें एमजीडी स्कूल, स्वामी विवेकानंद स्कूल, वनस्थली विद्यापीठ व अन्य स्कूलों के बच्चों ने अपनी रचनात्मक प्रतिभा का परिचय दिया। इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए कथक डांस केंद्र के बच्चों ने एक से बढ़कर एक कथक प्रस्तुतियों ने समां बांध दिया।
इसके बाद उमंग स्कूल के 12 विशेष बच्चों और लीला द मैजिकल थिएटर ग्रुप के 14 कलाकारों ने सामूहिक प्रस्तुतियां पेश कीं। पहली प्रस्तुति चक दे इंडिया… दी गई। वहीं दूसरी प्रस्तुति के रूप में बाल शोषण के खिलाफ आवाज उठाता हुआ नुक्कड़ नाटक पेश किया गया। इसके बाद खुशी एंड ग्रुप की ओर से कालबेलिया नृत्य, तनु और अंबिका की ओर से कथक नृत्य, रिद्धी व सिद्धी की ओर से भरतनाट्यम, वनस्थली विद्यापीठ की कृष्णा शर्मा की ओर से कथक नृत्य, शुभांतर शर्मा की ओर से तबला प्रस्तुति, स्वामी विवेकानंद स्कूल की ओर से ग्रुप डांस वो राधा है…, सुमेहा असोपा की ओर से राजस्थानी लोकनृत्य, रामचरण मीणा समूह की ओर से अशिक्षा व बेरोजगारी के खिलाफ राजस्थानी भाषा में नाटक पेश किया गया।
खुला मंच पर ही दोपहर को विभिन्न सरकारी स्कूलों के बच्चों ने लगातार दो घंटे तक स्पंदन कार्यक्रम के तहत विभिन्न रंग-रंगीली सांस्कृतिक प्रस्तुतियां पेश कीं। आईसीआईसी फाउंडेशन की ओर से आयोजित होने वाले विद्यालय एवं शिक्षक शिक्षा उन्नयन कार्यक्रम के तहत बच्चों ने अंधविश्वास दूर करने का और बालिका अधिकारों का संदेश देने वाले नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किए। इनमें राउप्रावि गांधीनगर, रामावि सीतारामपुरी और राउप्रावि मोतीकटला (बालिका) स्कूल के बच्चों ने विभिन्न नृत्य सहित अन्य रंग-रंगीले कार्यक्रम पेश किए। इसके बाद टॉक शो के जरिए राजस्थानी भाषा, साहित्य व सिनेमा पर चर्चा की गई। इसमें जलते दीप के संपादक पदम मेहता, साहित्यकार इकराम राजस्थानी, गजेंद्र एस. श्रोतिया व लखविंदर सिंह ने राजस्थान में मौजूद कला-साहित्य व सिनेमा की संभावनाओं पर चर्चा की। सभी वक्ताओं ने इन क्षेत्रों में और अधिक तेजी से काम करने तथा सरकारी प्रोत्साहन की दरकार पर बल दिया।
( Khamma Ghani )
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