अब नहीं हैं हम नाम की सरपंच

DSC_1555DSC_1590पंचायती राज चुनाव 2015 में जीतकर आई नवनिर्वाचित महिला पंच सरपंचों के साथ मीडिया संवाद जयपुर मंे आयोजित किया गया। द हंगर प्रोजेक्ट की ओर से आयोजित इस संवाद कार्यक्रम मंे प्रदेष के 7 जिलों अलवर, जयपुर, डुंगरपुर, सिरोही, जालौर, राजसमन्द, व टोंक के 10 ब्लॉक की 23 महिला पंच सरपंचों ने भागीदारी निभाई।
द हंगर प्रोजेक्ट के कार्यक्रम अधिकारी विरेन्द्र श्रीमाली ने बताया कि यह जन प्रतिनिधि हिंसा एवं भ्रष्टाचार मुक्त पंचायत चुनाव स्वीप अभियान 2015 में आयोजित हुए पंचायती राज चुनावों मंे जीतकर आई है। द हंगर प्रोजेक्ट की ओर से वर्ष 2015 मंे हुए चुनावों में स्वीप अभियान के तहत मतदाता जागरूकता का कार्य किया गया। स्वीप अभियान के माध्यम से चुनाव प्रक्रियाओं में महिला सषक्तीकरण को सुदृृढ़ करने के लिए प्रदेष के 20 जिलों की 41 पंचायत समितियों के 1324 ग्राम पंचायतों मंे सघन रूप से चलाया गया। स्वीप अभियान का मुख्य उद्देष्य हिंसा एवं भ्रष्टाचार मुक्त पंचायत चुनाव हेतु वातावरण निर्माण करना था। साथ ही महिला पंच सरपंच संगठन की अभियान मंे सक्रिय भूमिका सुनिष्चित करना था।
मीडिया संवाद में आई महिला पंच सरपंचों ने अपने-अपने अनुभव साझा किए। जालोर की धानोल ग्राम पंचायत की सरपंच माधुरी कोली ने बताया कि उसने गांव में विकास करवाने के नाम पर चुनाव लड़ा और जीती। मुझे विकास के नाम पर वोट मिले। विरोधी पार्टी ने मतदाताओं को हलवा पूडी खिलाया जबकि मैंने गांव में विकास करने का वादा किया। सरपंच बनने के बाद पंचायत की पहली पाक्षिक बैठक में मैंने अपने पति को भी पंचायत बैठक में आने से रोका। वार्ड पंच पति व अन्य पुरुषों को भी पंचायत बैठक की प्रक्रिया से दूर रखा। डूंगरपुर जिले कीलाम्बा भाटडा की पहली सरपंच बसंती देवी ने कहा कि महिलाओं के समर्थन से उसने चुनाव लड़ा और जीता। वह अपनी ग्राम पंचायत को आदर्ष ग्राम पंचायत बनानेे का सपना देखती है।
वनस्थली ग्राम पंचायत की सरपंच पिंकी कुमारी ने बताया कि मेरा प्रयास रहेगा कि महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में आगे बढ़े। कम पढ़ी लिखी महिलाआंे को प्रौढ़ षिक्षा से जोड़ने का प्रयास भी करूंगी। अलवर जिले की ग्राम पंचायत बिछाला से आई युवा सरपंच रूखसार का कहना था कि अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने के कारण घर से बाहर निकलकर पंचायत का चुनाव लड़ना उसके लिए काफी चुनौतीपूर्ण कार्य था। पंचायत मंे मुस्लिम समुदाय के भी सिर्फ 200 वोट ही थे। यादव समाज के समर्थन से वह चुनाव जीती। भविष्य में वह मुस्लिम समाज की लड़कियांे की षिक्षा के लिए काम करना चाहती है। वार्ड पंच तीजा बाई ने बताया कि उसने लगातार तीसरी बार पंचायत चुनाव जीता है। इस बार वह वार्ड पंच का चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी लेकिन लोगांे के समर्थन के चलते उसने चुनाव लड़ा। चुनाव के दौरान विरोधियांे ने पांच हजार रुपए देकर नामांकन वापस लेने का दबाव बनाया लेकिन मैंने चुनाव में खड़ा होना ही जरूरी समझा। मैंने लोगों को एक कप चाय भी नहीं पिलाई और चुनाव जीता। जयपुर जिले की राणीवास की वार्ड पंच चंदा षर्मा ने बताया कि इस बार उसने वार्ड पंच का चुनाव जीता । षैक्षणिक योग्यता के नियम के कारण वह सरपंच का चुनाव लड़ने से वंचित रह गई चाकसू तहसील की कुमारीयावास की सरपंच उमा ष्षर्मा ने बताया कि उसने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीती।सरपंच बनने से पहले वह घूंघट निकालती थी लेकिन पंचायत की पहली बैठक में उसने घूंघट हटाया। वह अपनी पंचायत में बाल विवाह रोकना चाहती है। उमा चाहती है कि पांच साल वह ऐसा काम करे कि उसका पंचायत मंे नाम हो।
इस मीडिया संवाद में प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के 75 प्रतिनिधियों ने भागीदारी निभाई। द हंगर प्रोजेक्ट के राष्ट्रीय कार्यक्रम अधिकारी सुश्री वेदा भारद्वाज ने महिला जनप्रतिनिधियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आप सब के अनुभव बताते है कि कैसे आप अपने संघर्ष के बलबुते पंचायत स्तर पर आगे आई है। आपके अनुभवों से सहसा ही अंदाजा हो जाता है कि आप अपने नाम के साथ-साथ काम से भी जानी जाएगी।

( विरेन्द्र श्रीमाली )
कार्यक्रम अधिकारी
9413340182

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