भारत में न विज्ञान पीछे है और न वैज्ञानिकों की कमी

MNIT 03MNIT 01MNIT 02जयपुर। भारत में न विज्ञान पीछे है और न वैज्ञानिकों की कमी है। कमी है तो सिर्फ सरकार की नीतियों में। भारत का विज्ञान पैसा तो बना रहा है, लेकिन यह पैसा भारत नहीं बल्कि जापान बना रहा है, वह भी भारतीयों द्वारा किए गए वैज्ञानिक अनुसंधानों से। पैटेंट करवाने के मामले में भी भारत पीछे है, जबकि अन्य देश भारत से ही ली हुई तकनीकों पर अपना पैटेंट करवा रहे हैं। तकनीकी रूप से भारत किसी भी रूप में पीछे नहीं है बल्कि एक लीडर है, इसलिए हमें भारतीय होने पर गर्व करना चाहिए। एमएनआईटी एवं नेशनल ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट नेटवर्क के जयपुर चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित चौथे उदय पारीक स्मृति व्याख्यानमाला में विख्यात वैज्ञानिक पद्मविभूषण डॉ. आर.ए. माशेलकर ने ‘री-इनवेंटिंग इंडिया एज इनोवेशन नेशनÓ विषय पर अपना व्याख्यान दिया।
विश्वभर के विश्वविद्यालयों में भारत का प्रतिनिधित्व करने और भारत के विज्ञान को पहचान दिलाने वाले डॉ. माशेलकर ने व्याख्यान में कहा कि विज्ञान के इस दौर में पैटेंट करवाने में चीन हमसे आगे है। चीन की हमें नकल नहीं करनी है बल्कि उससे सीखना है। भारत के 5 करोड़ परिवारों को नवाचार के साथ जोडऩे के लिए तेजी से बदलते दौर में साधनों का उपयोग करना जरूरी है। इसका उदाहरण देते हुए बताया कि जिस बात को फैलाने में टीवी को 13 साल लगे, इंटरनेट को 3 साल लगे, फेसबुक को 1 साल लगा वहीं ट्वीटर द्वारा 9 माह में यह काम आसानी से हो गया। उन्होंने कहा कि इस तरह के काम के लिए इनोवेशन लीडर्स को तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने इस क्षेत्र में सफलता के लिए एक मंत्र दिया कि जो रिस्क लेकर काम करे, उसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सोच में यह बदलाव ही ‘इनोवेशन नेशनÓ का निर्माण कर सकेगा। उन्होंने कहा कि किसी भी काम को करने के लिए आकांक्षा और महत्वकांक्षा दोनों जरूरी है। किसी एक का भी अभाव लक्ष्य से दूर कर देता है। अनुसंधान पैसे को ज्ञान में परिवर्तित कर देता है, जबकि नवाचार ज्ञान को पैसे में बदलता है। इसलिए रिसर्च का अपना महत्व है और इनोवेशन का अपना। इनोवेशन के क्षेत्र में भारत काफी सक्रिय हो चुका है और वर्तमान प्रधानमंत्री की पहल पर 7 मार्च से 13 मार्च तक ‘फेस्टिवल ऑफ इनोवेशनÓ मनाए जाने की घोषणा की। मंगलयान की सफलता को इनोवेशन का एक उदाहरण के रूप में उन्होंने प्रस्तुत किया। उनका कहना था कि भारत ही ऐसा देश था जिसने मंगलयान को सबसे कम खर्च पर तैयार कर लिया।
डॉ. माशेलकर ने जानकारी दी कि वैश्विक स्तर पर भारत इनोवेशन के क्षेत्र में बहुत पिछड़ रहा है। 2012 में जहां भारत 64वें स्थान पर था वहीं 2014 में 76वें स्थान पर पहुंच गया है। इसके स्तर को सुधारना देश के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है।
व्याख्यानमाला की शुरुआत एनएचआरडीएन के जयपुर चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. अशोक बाफना ने एनएचआरडीएन की गतिविधियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शिक्षित युवाओं को अच्छे रोजगार से कैसे जोड़ा जाए, इस पर ध्यान दिया जाता है। उन्होंने इस पर चिंता भी व्यक्त की कि देश के 20 से 30 प्रतिशत युवाओं को ही रोजगार मिल पाता है। व्याख्यानमाला की अध्यक्षता एमएनआईटी के निदेशक प्रो. आई.के. भट्ट ने संस्थान की विभिन्न गतिविधियों की चर्चा करते हुए बताया कि संस्थान 500 से अधिक विद्यार्थी इनोवेशन के क्षेत्र में अध्ययन कर रहे हैं। व्याख्यानमाला के अवसर पर पद्मभूषण प्रो. विजयशंकर व्यास, पद्मभूषण डी.आर. मेहता, मणिपाल युनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट प्रो. संदीप संचेती, आईआईएचएमआर युनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट डॉ. एसडी गुप्ता, जयपुरिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. प्रभात पंकज, डॉ. अवधेश भारद्वाज, प्रो. जीएस डंगायच सहित अनेक गणमान्य नागरिक और विद्यार्थी मौजूद थे।

कल्याण सिंह कोठारी
मीडिया सलाहकार

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