महाराणा प्रताप की समर स्थली हल्दीघाटी को भ्रष्टाचार से बचाने की मांग

maharana_pratapनाथद्वारा / खमनोर । (कमल पालीवाल)वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक को तैयार हुए 6 बरस हो गए है। विगत कई सालों में स्मृति संस्थान के द्वारा अपने ही संस्थान के संस्थापक सदस्य की नजदीक चल रही अवैध संग्रहालय के नाम की दुकान को बढ़ावा दिया जा रहा है। पद्म पुरुस्कारों की चाहत में अतिकर्मि बड़े जोर शोर से संगठनों के द्वारा समर्थन जुटाने में लगा है।

पूर्व में 60हजार रुपये प्रति बीघा की दर से 5 बीघा के अवैध आवंटन के बाद वर्तमान में 10 बीघा आवंटन कराने की कारवाई जारी है। यह भूमि राष्ट्रीय स्मारक को दी जाने वाली थी। विगत दिनों में पर्यटन विभाग ने स्मारक सहित प्रताप से जुड़े स्मारकों के संचालन की निविदायें निकाली गई है जिसकी अन्तिम दिनांक 16 जनवरी थी। निविदाओं में भी हल्दीघाटी के रखरखाव व संचालन के लिए 23 लाख की राशी अन्य स्थलों के मुकाबले कई गुना रखना विभागीय कर्मचारियों द्वारा स्वयं हल्दीघाटी में चल रहे भ्रष्टाचार को इंगित करता है दिवेर,छापली, गोगुन्दा व सेमारी चावण्ड के संचालन की अरनेस्ट राशी 2 लाख से 5 लाख तक है व हल्दीघाटी की 23.20 लाख जो अन्य स्थलों से कई गुना ज्यादा है। राष्ट्रीय स्मारक के नजदीक चल रहे प्रदर्शन केन्द्र की आड़ में हल्दीघाटी का विकास अवरोधित करने वालों के लिए समय चेतावनी भरा है । समय रहते प्रशासन ने यहॉं पनप रहे पुंजीवाद को अंकुश नही लगाया तो आने वाला समय क्षेत्र के पर्यटन पर बुरा प्रभाव डालने वाला साबित होगा। हल्दीघाटी में अतिकर्मी को संरक्षण देने वाले अधिकारीयों द्वारा अन्य छोटे
दुकानदारों के खिलाफ पुंजीवाद की आड में एकतरफा कार्यवाही से क्षेत्र में जन आक्रोश बढ़ा है।

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