महाविद्यालयों में कार्यरत व्याख्याताओं के पदनाम यूजीसी की अनुशंषा के अनुरूप असिस्टेंट प्रोफेसर, ऐसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रोफेसर करने के लिए राज्यपाल श्री कल्याणसिंह जी से रुक्टा (राष्ट्रीय) के प्रतिनिधि मण्डल ने मिलकर एक विस्तृत ज्ञापन प्रस्तुत किया। ज्ञापन में देश के लगभग 20 राज्यों द्वारा पदनामों के संबंध में की गयी अनुशंषा एवं परिवर्तनों के आदेश साक्ष्यों को सम्मिलित किया गया प्रतिनिधि मण्डल द्वारा श्रीमान राज्यपाल जी को इससे राज्य को हो रहे आर्थिक एवं शैक्षणिक नुकसान का ब्यौरा दिया जिसके फलस्वरूप राज्य को विशेषतः यूजीसी एवं अन्य एजेन्सियों से पर्याप्त आर्थिक अनुदान नहीं मिल पा रहा है।
यह भी स्पष्ट किया की पदनामांे में यूजीसी की अनुशंषा के अनुरूप परिवर्तन से राज्य सरकार पर कोई भी अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा, बल्कि इसके विपरीत राज्य में उच्च शिक्षा क्षेत्र मंे शैक्षणिक उन्नयन का वातावरण निर्मित होगा। साथ ही विश्वविद्यालय शिक्षकों एवं महाविद्यालय शिक्षकों में लम्बे समय से चल रहे तुलनात्मक श्रेष्ठता अन्तर भी समाप्त हो सकेगा और महाविद्यालय शिक्षकों के लिए शैक्षिक तथा शोध उन्नयन के नये मार्ग को प्रशस्त करेगा। राज्यपाल जी ने प्रतिनिधि मण्डल के तर्काे से सहमत होते हुए आश्वस्त किया की इस संबंध मंे सकारात्मक कार्यवाही की जायेगी।
बाद में प्रतिनिधि मण्डल ने उच्च शिक्षामंत्री श्री कालीचरण जी सर्राफ से भी भेंटकर पदनाम परिवर्तन में हो रही देरी पर चिंता प्रकट करते हुए आवश्यक कार्यवाही की मांग की। श्री सर्राफ ने प्रतिनिधि मण्डल को आश्वस्त किया कि वे स्वयं इस संबंध में आवश्यक आदेश जारी करवाने के लिए मुख्यमंत्री के समक्ष शिक्षकों का पक्ष रखेंगे। इसी क्रम मंे प्रतिनिधि मण्डल ने उच्च शिक्षा सचिव, आयुक्त (उच्च शिक्षा) एवं संयुक्त सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय से भी भेंटकर अपनी लम्बित मांगो के संबंध में तथ्यों सहित अपना पक्ष प्रस्तुत किया। सभी ने अपने स्तर पर अनुकूल कार्यवाही करने को कहा।
प्रतिनिधि मण्डल मंे रुक्टा (राष्ट्रीय) के अध्यक्ष डॉ. दिग्विजय सिंह शेखावत, महामंत्री डॉ. नारायण लाल गुप्ता, संगठन मंत्री डॉ. ग्यारसी लाल जाट एवं विशेषाधिकारी उच्च शिक्षा डॉ. कमल कुमार मिश्रा सम्मिलित थे।
