बच्चों का पोषण भी बाजारीकरण की भेंट चढ़ा

मां का दूध भी अब मां से नहीं बल्कि डिब्बों से मिलने लगेगा बच्चों को
DSC_8022जयपुर, 15 सितंबर, 2015। भूख, पोशण और विकास, इन तीनों की गति लगातार बढ़ रही है, लेकिन सरकार इन तीनों को ही समग्र रूप से नहीं देखकर सिर्फ विकास और बाजार की षैली पर केंद्रित है। जबकि भूख और पोशण आज भी राजस्थान सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती बनकर खड़ी है। यह कोई छोटी या अनदेखी कर देनी वाली समस्या नहीं है, बल्कि सरकार को इस ओर खास ध्यान देने की जरूरत है, बजाए इन समस्याओं को बाजारीकरण के नजरिए से देखने के, इसके लिए व्यावहारिक तरीके तलाषने होंगे। यह बात वरिश्ठ पत्रकार राजेंद्र बोड़ा ने कही। मौका था राजस्थान में पोशण संबंधी समस्याओं, मामलों एवं नागरिक संगठनों की जिम्मेदारी पर आयोजित कार्यषाला का। इसका आयोजन सीएचएन नेटवर्क, वर्ल्ड विजन इंडिया और सोसायटी टू अपलिफ्ट रूरल इकोनॉमी ष्योर नाम की संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इसमें ष्योर संस्था के निदेषक डॉ सत्यदेव बारहठ ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए कहा कि राज्य में पोशण की गंभीर समस्या है जिस पर स्वेच्छिक संस्थाओं की भागीदारी सुनिष्चित करने के लिए यह राज्यस्तरीय कार्यषाला आयोजित की गई। पोशण संबंधी अनुषंसाएं राजस्थान सरकार को दी जाएगी।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्तव्य यूनिसेफ की पूर्व सलाहकार मोलश्री राठौड़ ने नेषनल हेल्थ सर्वे के हवाले से बताया कि राजस्थान में 0 से 5 वर्श तक के 43.7 प्रतिषत बच्चे अतिकुपोशण से ग्रसित हैं, जिनकी ओर ध्यान देने के लिए राजनीतिक तौर पर नीतियां बनाए जाने की जरूरत है। वर्तमान में जो नीतियां हैं, वे अधिक कारगर साबित नहीं हो पा रही हैं, इसलिए इनके बदलाव की जरूरत है। यह काम केवल नीतियां बनाने से नहीं बल्कि इसके धरातल पर यानी कृशि, व्यापार और खाद्य उत्पादन तक के कार्यों में पोशण के आवष्यकतानुसार मापदंड तय किए जाने की जरूरत है। इस सत्र में वर्ल्ड विजन इंडिया के जयपुर मैनेजर डॉ. जोसिया डेनियल, ष्योर के निदेषक सत्यदेव बारहठ, राजस्थान एडल्ट एजुकेषन के निदेषक राजवीर सिंह ने भी इस विशय पर अपने विचार रखे।
कार्यक्रम के अगले सत्र में पोशण संबंधी समस्याओं और उनके समाधानों पर विस्तार से चर्चा की गई। इस चर्चा की अध्यक्षता डिगनिटी ऑफ गर्ल चाइल्ड फाउंडेषन की अध्यक्ष डॉ मीता सिंह ने की। उन्होंने बताया कि कम वजन की समस्या राजस्थान में अब भी विकराल रूप लिए हुए है। इन बच्चों में संक्रमण की अधिकता रहती है और इनकी मानसिक व षारीरिक विकास की गति भी धीमी रहती है। इसीलिए इन बच्चों की जान जोखिम में बनी रहती है। उन्होंने जानकारी दी कि राज्य में आधे से अधिक बच्चे कुपोशण के षिकार हैं। यदि थोड़ी सी जागरूकता हो जाए और स्वयं से इस समस्या को दूर करने का निष्चय करें तो ज्यादा दिन नहीं लगेंगे इस समस्या का निराकरण होने में। इस सत्र में सेव दी चिल्डन के रघु महर्शि, राजस्थान सरकार के महिला सषक्तिकरण की एडिषनल डायरेक्टर डॉ मुक्ता अरोड़ा, मुस्लिम वुमन वेलफेयर एसोसिएषन की निषत हुसैन, आरवीएचए के पूर्व सचिव लक्ष्मीनारायण, सिकोई डिकोन के कार्यकारी निदेषक डॉ मनीष सिंह सहित कई वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। वर्ल्ड विजन इंडिया के सुनंद सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।
कल्याण सिंह कोठारी
मीडिया सलाहकार
9414047744

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