शिक्षकों की नियुक्ति एवं स्थानांतरण को लेकर प्रदर्शन

a10जयपुर। राजस्थान के विभिन्न संस्था और जन संगठनों के 15 जिलों से आए 600 लोगों ने सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान के बैनर तले 18 सितंबर को विधानसभा पर राज्य में शिक्षकों के लिए स्थानांतरण नीति लागू किए जाने हेतु प्रदर्शन किया। राज्य में स्कूल स्तर पर छात्र शिक्षक अनुपात सही न होना बेहद चिंता जनक है। अधिकांश स्कूलों में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि कम बच्चों पर ज्यादा शिक्षक और ज्यादा बच्चों पर कम शिक्षक नियुक्त है। वर्षों से राज्य सरकार के समानीकरण के प्रयास असमानीकरण में तब्दील हो जाते है। साथ ही स्थानांतरण के नाम पर खूब दलाली होती है और सौदेबाजी की जाती है।
प्रदर्शन को सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार को आवश्यक रूप से शिक्षकों के स्थानांतरण की एक स्पष्ट नीति तुरंत बनानी चाहिए और उस पर आम जनता के सुझाव लेकर इसी सत्र में लागू किया जाए ताकि विशुद्ध रूप से छात्र शिक्षक अनुपात प्रत्येक स्कूल में बना रहे और बच्चों को सभी विषयों पर उचित शिक्षा प्राप्त हो सके। धरने को संबोधित करते हुए पीयूसीएल की महासचिव कविता श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य सरकार लोगों के मूलभूत अधिकारों जिनमें शिक्षा एवं स्वास्थ्य प्रमुख हैं को प्राइवेट लोगों को बेचना चाहती है। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए मजदूर नेता हरिकेश बुगालिया ने कहा कि राज्य में शिक्षकों के स्थानांतरण को एक उद्योग बना दिया है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य विश्वम्भर व्यास ने कहा कि राज्य में स्थानांतरण नीति की मांग वर्षों पहले से चल रही है इसके लिए जब अनिल बोर्डिया भारत सरकार में शिक्षा सचिव थे तो बोर्डिया कमेटी ने राज्यों में स्थानांतरण नीति बनाए जाने की सिफारिश की परंतु राजस्थान में आज तक नहीं बनाई गई है। विभिन्न जिलों से आए अभिभावकों का कहना था कि सरकारी शिक्षा की व्यवस्था ठीक से चले एवं राज्य के समस्त सरकारी विद्यालयों में आधारभूत ढांचे के साथ-साथ पर्याप्त शिक्षक हों।
प्रदर्शन स्थल से विधानसभा में मिलने गए प्रतिनिधिमंडल से राज्य के शिक्षा मंत्री मिले और उन्होंने कहा कि शिक्षकों के लिए स्थानांतरण नीति के बारे में राज्य सरकार विचार कर रही है लेकिन अपनी पूरी तैयारी करने के बाद लागू करेंगे। वे तुरंत लागू करने को तैयार नहीं थे, शिक्षकों की कमी के बारे में उन्होंने कहा कि राज्य में पहले दौर में स्वीकृत पदों में से 60 प्रतिशत पद भरे जाएंगे। प्रदर्शन के बाद स्वामी कुमारानंद हॉल में आयोजित जन सुनवाई में राज्य के विभिन्न जिलों से आए अभिभावकों ने अपने- अपने जिले में विद्यालयों की स्थिति बताई जिसमें बारां जिले से आए गजराज ने बताया कि बारां के किशनगंज और शाहबाद उपखंडों में राज्य सरकार द्वारा आदर्श घोषित किए स्कूलों की स्थिति ही बहुत खराब ह ै किशनगंज के 4 और शाहबाद के 10 आदर्श स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक ही नहीं है और अन्य भौतिक संसाधन भी उपलब्ध नहीं है और ज्यादातर के शौचालय क्रियाशील नहीं है। झाडोल से आई बतकी बाई ने बताया कि अध्यापक समय से नहीं आते हैं और ज्यादातर विद्यालय 2 अध्यापकों के भरोसे चलते हैं जिनमें से अधिकतर समय एक ही अध्यापक आता है। अजमेर जिले से आए रामेश्वर ने बताया कि शौचालय तो अधिकतर विद्यालयों में क्रियाशील नहीं और अध्यापक भी पर्याप्त नहीं है। राजसमंद के भीम इलाके से आए पूनम सिंह ने बताया कि उस क्षेत्र में क्रियाशील शौचालय नहीं है और विषय अध्यापक, प्राध्यापक और भीम ब्लाक में तो प्रधानाध्यापक और प्राचार्य के पद भी खाली हैं। जन सुनवाई में पेनलिस्ट के तौर पर विख्यात शिक्षाविद शारदा जैन, रेणुका पामेचा, ममता जेटली आदि थे जिन्होंने अपने सुझाव रखे। कार्यक्रम में निशा सिद्दू, हरिओम सोनी, परस बंजारा, राधिका गणेश, विजय मेहता आदि ने अपने विचार रखे।

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