कम बोलें, अच्छा बोलें

बलराम हलरानी
बलराम हलरानी
मेरे विचार भी कुछ इसी बात से मिलते जुलते है । अनावश्यक शब्दों या वार्तालाप को आप हटा दें, सामान्यतः आप तौल-मौल के बोलंे यानि कम बोले, अच्छा बोले । कई बार वे शब्द ही हैं जिनकी वजह से हमें मान-सम्मान या अपमान सहन करना पडता है ।
शब्द ही है जो किसी व्यक्ति का परिचय कराते है। कहते है कि जब व्यक्ति बोलता है तो उससे उसके परिवार, समाज, देश व संगति का परिचय हो जाता है । कठोर शब्द से आप किसी पर प्रभाव नहीं डाल सकते बल्कि उसके दुष्प्रभाव आप को सहन करने पडते है ।
बुद्धिमान व्यक्ति के शब्दों में सही संतुलन होता है । अपनी बात सही रूप से प्रस्तुत करना एक कला एवं विज्ञान दोनों है ।
किसी के सही कार्य की प्रशंसा करें, उसका हौसला बढायें, उसे साहस दें । देखियेगा वह व्यक्ति आप का मित्र बन जायेगा । किसी को गन्दा बोलने से कटु वाक्य जो उसका दिल दुख कर आप कुछ नहीं पायेगें । आप आईना दिखाने वाले कौन होते हैं, उस व्यक्ति की क्या मजबूरी या हालात रहे हैं आप नहीं समझ सकते । अपने शब्दों पर निंयत्रण रखें ।

देश व समाज का बहुत भला होगा ।
-बलराम हरलानी
लेखक का परिचय – एक सफल व्यवसायी, कृषि उपज मंडी के डायरेक्टर, समाज सेवी, पूर्व छात्र सेंट ऐन्सलमस अजमेर

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