जतिंद्र ने तैयार की पौने एक इंच की भक्तामर स्रोत

कई उल्लेखनीय कार्य के लिए नाम दर्ज है गिनिज बुक में

जतिंद्र पाल सिंह
जतिंद्र पाल सिंह
उदयपुर। कहते हैं हर इंसान में एक ऐसा गुण होता है जो उस औरों से विशेष और अलग बनाता है। ऐसे ही गुणों के धनी हैं जतिंद्र पाल सिंह, जिन्होंने जैन धर्म के चल रहे चातुर्मासिक काल में एक पौने एक इंच की लंबाई और चौड़ाई की सबसे छोटी भक्तामर स्रोत किताब तैयार की है।
जैन धर्म के धार्मिक स्रोत भक्तामर के जिसमें 48 श्लोक हैं। उसे सूक्ष्मतम शब्दों में जतिंद्र पाल सिंह ने तीन महीने में तैयार किया है। ऐसा नहीं है कि जतिंद्र ने इस तरह का अनूठा कार्य पहली बार किया है। इससे पहले भी उन्होंने कई चीजें बनाई हैं। जतिंद्र ने 1991 से अब तक 29 रिकार्ड अपने नाम किए हैं। इनमें 3 एशिया बुक ऑफ रिकार्ड में, 8 लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में और 18 इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हैं।
उल्लेखनीय है कि भक्तामर स्त्रोत की किताब 33 पन्नों की है। जिसमें उन्होंने 200 लाइनों को उकेरा है। 39 वर्षीय जतिंद्र ने यह बुक इतनी छोटी बनाई है कि इसे अंगूठे के नाखून पर रखा जा सकता है। इस पुस्तक को वाटर प्रूफ बनाया गया है, चूंकि पुस्तक का आकार बहुत छोटा है।
पौने एक इंच की भक्तामर स्रोत
पौने एक इंच की भक्तामर स्रोत
इसलिए जतिंद्र ने एहतियात के लिए स्रोत के सभी पन्नों को पूरी तरह से लेमिनेटेड कर दिया है। भक्तामर मुख्यतः संस्कृत भाषा में है। इसके अंदर 48 श्लोक हैं। सकल जैन के अनुयायी भक्तामर को प्रातःकाल प्रतिदिन पढते है। इसके बारे में मान्यता है कि इसके प्रत्येक श्लोक में इंसान की किसी ना किसी समस्या का समाधान निहित है। पुष्करवाणी गु्रप ने जतिंद्र सिंह पाल से जानकारी लेते हुए बताया है कि वर्ष 1992 में तेरापंथ समुदाय के आचार्य श्री तुलसी का जब हांसी पदार्पण हुआ उस समय जतिंद्र ने चने की दाल पर उनका फोटो उकेर कर उन्हें भेंट किया था। मूलतः हरियाणा के झांसी शहर के रहने वाले जितेन्द्र सिक्ख समुदाय का पालन करते हुए सर्वधर्म का सम्मान करते है। वर्ष 2003 में चौबिस तीर्थंकरों के अलग अलग फोटो डेढ सेंटीमीटर पर बनाने वाले जितेन्द्रपाल को जैन धर्म के सिद्वान्तों से बहुत लगाव है। जैन स्थानक के समीप उनका निवास होने के कारण वो जैन साधु – साध्वियों से निरन्तर संपर्क में रहते है।
गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने की तमन्ना
जतिंद्र की इच्छा है कि उनका रिकॉर्ड गिनीज बुक आफ वर्ल्ड में दर्ज हों। मगर माली हालत ठीक न होने के कारण उनकी यह दिली तमन्ना कसक बन कर रह गई है। जतिंद्र पेशे से प्राइवेट स्कूल टीचर हैं।
रात में बनाते हैं
जतिंद्र अपने इस हुनर को हर हाल में जिंदा रखना चाहते हैं। इसके लिए वह दिन में टीचिंग करते हैं,शाम को बच्चों को पेटिंग सिखाते हैं और रात को जो आराम करने का समय होता है। समय निकाल कर इन्हें बनाते हैं।
ये हैं पिछले रिकार्ड
चावल के दाने में 118 देशों के राष्ट्रीय ध्वज, चना दाल पर दस सिख गुरुओं के चित्र, सुई में 2035 धागे डालना, सबसे छोटा चरखा, सबसे छोटी हनुमान चालीसा, छोटी शतरंज, सांप सीढ़ी, लूडो, हैंडपंप, ताजमहल, पतंग, कैरम बोर्ड, कैंडल, ग्रीटिंग कार्ड आदि।

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