बिना विधिक प्रक्रिया अपनाये सेवा समाप्त नहीं की जा सकती

(राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर की एकलपीट का फैसला)
Rajasthan High Court Jaipur Bench 450जयपुर, एयर फोर्स स्कूल, कनकघाटी, आमेर रोड़, जयपुर की याचिका खारिज करते हुये उच्च न्यायालय की एकलपीठ के न्यायाधीश श्री एन.एम.भण्डारी ने राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण के फैसले को बहाल रखा। उल्लेखनीय है कि उक्त स्कूल में माली के पद पर कार्यरत कर्मचारी श्री इमामूद्दीन ने अपने सेवा समाप्ति आदेश को राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण के समक्ष अपने अधिवक्ता डी. पी. शर्मा के माध्यम से चुनौती देते हुये तर्क दिया कि उसकी सेवा समाप्ति बिना राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 व उसके तहत बने नियम 1993 की पालना किये बिना सेवा समाप्ति की है क्योंकि संस्था ने सेवा समाप्ति से पूर्व न तो छः माह का नोटिस दिया और ना ही नोटिस के बदले वेतन दिया तथा शिक्षा निदेशक से सेवा समाप्ति के आदेश के बारे में अनुमोदन प्राप्त किया तथा कोई जॉंच कार्यवाही नहीं की जबकि प्रार्थी की नियुक्ति जनवरी-1983 को की गई थी तथा उसे 11 वर्ष बाद सेवा समाप्ति का आदेश दिया गया। सेवा समाप्ति के पश्चात प्रार्थी ने न्याय प्राप्ति हेतु नोटिस दिया। उसके पश्चात प्रार्थी ने अधिकरण के समक्ष याचिका प्रस्तुत की जिसे यह कहते हुये खारिज कर दिया कि अधिकरण को ऐसे मामले सुनने का अधिकार नहीं है क्योंकि एयर फोर्स स्कूल भारत सरकार के फण्ड से संचालित होती है जिसे प्रार्थी ने राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी। उच्च न्यायालय ने प्रार्थी के तर्क को स्वीकार किया कि एयर फोर्स स्कूल भारत सरकार के फण्ड से नहीं बल्कि एक सोसाईटी के फण्ड से संचालित होती है। उच्च न्यायालय ने पुनः अधिकरण को आदेश दिया कि मामले को गुणदोष पर निपटाये। अधिकरण ने प्रार्थी की सेवा समाप्ति आदेश को बिना प्रक्रिया पालना किये पारित किया हुआ माना तथा संस्था की तरफ से यह तर्क दिया गया कि प्रार्थी स्वयं नौकरी छोड़कर चला गया था इसलिये संस्था ने अन्य माली की नियुक्ति कर दी तथा प्रार्थी विशेष प्रयोजन के लिये नियुक्त था इसलिये कोई प्रक्रिया की पालना करना आवश्यक नहीं है। इसके जवाब में प्रार्थी के अधिवक्ता का तर्क था कि प्रार्थी ने 11 वर्ष की सेवायें दी है तथा उसका कार्य अच्छा था इसलिये उसे 500/- रूपये का नकद पुरस्कार दिया गया तथा प्रार्थी के द्वारा नियमानुसार वेतन मांग किये जाने पर उसकी सेवायें समाप्त कर दी गई। अधिकरण ने सेवा समाप्ति आदेश को निरस्त करते हुये पुनः बहाली के आदेश दिये। अधिकरण के उक्त आदेश को संस्था द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई। उच्च न्यायालय द्वारा उक्त रिट याचिका खारिज कर दिया गया।

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