वसुंधरा भारी या गहलोत

राजस्थान विधानसभा चुनाव से करीब एक साल पूर्व अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन एवं सरकार के बारे में आम जनता की सोच को लेकर सर्वे शुरू कराया है।

सर्वे किसी निजी एजेंसी के बजाय जिला कलेक्टरों, स्थानीय निकायों के मुखियाओं एवं ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों के माध्यम से कराया जा रहा है।

सर्वे की रिपोर्ट इस माह के अंत तक मांगी गई है, जिससे अगर किसी योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो रहा तो उसकी जिम्मेदारी प्रभावी अधिकारियों को सौंपकर नीचले स्तर तक क्रियान्वयन कराना है। इसके साथ ही सरकारी अधिकारियों के माध्यम से अगले साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस के बारे में आम मतदाताओं की राय मांगी जा रही है।

राज्य सरकार एवं कांग्रेस की मौजूदा स्थिति के बारे में कांग्रेस आलाकमान की नाराजगी के बाद यह सर्वे शुरू कराया गया है कि जनता के दरबार और विकास के गलियारे में पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार भारी रही थी या मौजूदा कांग्रेस सरकार। राज्य की कांग्रेस सरकार ने इसी विश्वास की जड़ों की गहराई नापनी शुरू कर दी है। इसके लिए जिलों में विभिन्न विभागों को प्रगति रिपोर्ट खंगाली जा रही है। इसकी पड़ताल के लिए सरकार ने जिला कलेक्टरों एवं अन्य अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

रिपोर्ट में जिलों के तमाम विभागों को प्रगति रिपोर्ट का समावेश करने को कहा गया है। इसी प्रकार राजस्थान जनसुनवाई अधिकार समेत जनता से जुड़ी विभिन्न योजनाओं का भी आकलन करने के निर्देश दिए गए हैं।

मुख्यमंत्री के प्रमुख शासन सचिव श्रीमती पाण्डेय की ओर से हाल ही सभी जिला कलेक्टरों को भाजपा के शासनकाल की तुलना मौजूदा सरकार के कार्यकाल के मध्य हुए विकास कार्य से करने और इसकी विस्तृत रिपोर्ट 30 सितम्बर तक भिजवाने के लिए कहा गया है।

अधिकारियों को अधिकारिक रिपोर्ट के अतिरिक्त ऑफ द रिकॉर्ड प्रत्येक विधानसभा क्षेत्रवार कांग्रेस की स्थिति की जानकारी भेजने को भी कहा गया है,जिससे कमजोर क्षेत्रों में ध्यान दिया जा सके।

अधिकारियों की रिपोर्ट मिलने के बाद मंत्रियों को भेजा जाएगा। सरकार के अतिरिक्त प्रदेश कांग्रेस की ओर से भी वरिष्ठ पदाधिकारियों को जिलों में भेजकर सरकार एवं पार्टी की स्थिति का आंकलन कराया जा रहा है।

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